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जून, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

How society affects mental health\ success

एक बार कुछ scientists ने एक बड़ा ही interesting experiment किया.. उन्होंने 5 बंदरों को एक बड़े से cage में बंद कर दिया और बीचों -बीच एक सीढ़ी लगा दी जिसके ऊपर केले लटक रहे थे.. जैसा की expected था, जैसे ही एक बन्दर की नज़र केलों पर पड़ी वो उन्हें खाने के लिए दौड़ा.. पर जैसे ही उसने कुछ सीढ़ियां चढ़ीं उस पर ठण्डे पानी की तेज धार डाल दी गयी और उसे उतर कर भागना पड़ा.. पर experimenters यहीं नहीं रुके, उन्होंने एक बन्दर के किये गए की सजा बाकी बंदरों को भी दे डाली और सभी को ठन्डे पानी से भिगो दिया.. बेचारे बन्दर हक्के-बक्के एक कोने में दुबक कर बैठ गए.. पर वे कब तक बैठे रहते, कुछ समय बाद एक दूसरे बन्दर को केले खाने का मन किया.. और वो उछलता कूदता सीढ़ी की तरफ दौड़ा.. अभी उसने चढ़ना शुरू ही किया था कि पानी की तेज धार से उसे नीचे गिरा दिया गया.. और इस बार भी इस बन्दर के गुस्ताखी की सज़ा बाकी बंदरों को भी दी गयी.. एक बार फिर बेचारे बन्दर सहमे हुए एक जगह बैठ गए... थोड़ी देर बाद जब तीसरा बन्दर केलों के लिए लपका तो एक अजीब वाक्य हुआ.. बाकी के बन्दर उस पर टूट पड़े और उसे केले खाने से रोक दिया, ताकि एक बार फिर उन्हे

baccho ko kaise safal banaye

 एक अखबार वाला प्रात:काल लगभग 5 बजे जिस समय अख़बार देने आता था, उस समय रमेश बाबू उसको अपने मकान की गैलरी में टहलते हुए मिल जाते थे ।  प्रतिदिन वह रमेश बाबू के आवास के मुख्य द्वार के सामने चलती साइकिल से निकलते हुए अख़बार फेंकता और उनको 'नमस्ते बाबू जी' बोलकर अभिवादन करता हुआ फर्राटे से आगे बढ़ जाता था।  क्रमश: समय बीतने के साथ रमेश बाबू के सोकर उठने का समय बदलकर प्रात: 7:00 बजे हो गया। जब कई दिनों तक रमेश बाबू उस अखबार वाले को प्रात: टहलते नहीं दिखे तो एक रविवार को प्रात: लगभग 9:00 बजे वह उनका कुशल-क्षेम लेने उनके आवास पर आ गया।  तब उसे ज्ञात हुआ कि घर में सब कुशल- मंगल है, रमेश बाबू बस यूँ ही देर से उठने लगे थे । वह बड़े सविनय भाव से हाथ जोड़ कर बोला, "बाबू जी! एक बात कहूँ?" रमेश बाबू ने कहा... "बोलो" वह बोला... "आप सुबह तड़के सोकर जगने की अपनी इतनी अच्छी आदत को क्यों बदल रहे हैं? आपके लिए ही मैं सुबह तड़के विधानसभा मार्ग से अख़बार उठा कर और फिर बहुत तेज़ी से साइकिल चलाकर आप तक अपना पहला अख़बार देने आता हूँ...सोचता हूँ कि आप प्रतीक्षा कर रहे होंगे।&quo