दुख का एकमात्र कारण -अपेक्षा/कामना💐 happy life tips in hindi दोस्तों, हम सब ने हमारे जीवन में ऐसे व्यक्ति हमेशा देखे होंगे जो हमशा दुखी ही रहते है। आप उनके लिए कुछ भी कर लो वो कभी भी खुश रह ही नहीं सकते। उनको हमशा अपने जीवन से, अपने आस पास के व्यक्ति से यहाँ तक की भगवान से भी शिकायते ही रहती है। ऐसा नहीं होता की उनके पास कुछ भी नहीं होगा। उनके पास सबकुछ होता है। उनके पास सबकुछ होता है। अच्छी नौकरी, अच्छा परिवार, घर, परिजन। सब कुछ होने के बाद भी उनके जीवन में हमेशा असंतोष और दुःख ही रहता है। वही दूसरी और ऐसे व्यक्ति भी देखे है जिन के चारे पर कभी भी मुस्कराहट हटती ही नहीं। जब भी देखो वो हमेशा खुश ही। चाहे उनके जीवन में कितनी भी समस्या क्यों न हो वो हमेशा खुश ही दिखाई देते है। हलाकि आज कल ऐसे लोग कंही है जो हर हल में खुश रहते हो। पर ऐसे लोग होते है ये हकीकत है। अब सवाल ये उठता है की ऐसा क्यों ? दोस्तो, हम चाहे माने या ना माने पर सुख और दुःख कई बार केवल हमारे नजरिये पर depend होता है। एक ही बात पर कोई खुश भी रहता है और वही बात पर कोई दुखी भी हो जाता है। इस बात को हम एक कहानी के
How to be a best parents दोस्तों, जब बच्चे का जन्म होता है तब बच्चा एक अबोध और मासूम होते है। उसको सच या झूठ का, गलत-सही का कुछ भी ज्ञान नहीं रहता। पहले के समय में ये कहा जाता था की १० वर्ष की आयु तक बच्चा जो भी करता है उसका कर्म फल नहीं बंधता। क्योकि बच्चा अबोध होता है। वो निर्मल होता है। उसको समज ही नहीं होती है। अब यहाँ पर प्रश्न ये उठता है की यदि बच्चा अबोध होता है तो वो झूठ बोलना कैसे सीखता है ? आज कल के बच्चे तो बहुत ही कम आयु में या ये कहे की शुरू से ही झूठ बोलना चालू कर देते है। जब की हम सब बच्चो को यही सिखाते है की झूठ नहीं बोलना चाहिए। ये गलत है। हमें पाप लगता है। वगेरा.. वगेरा.... दोस्तों हम चाहे माने या न माने पर बच्चे झूठ बोलना घर से ही सिखाते है। उसमे भी सबसे ज्यादा अपने माता-पिता से ही सिखते है। हम ही आने अनजाने में बच्चोकोझूठ बोलना सिखाते है। यहाँ पर मैं कुछ सीन दिखती हूँ। इस से मेरी बात और भी जायदा स्पष्ट हो जाएगी। Scene 1 सोचिये यदि हमारा जाने का प्रोग्राम है और इसी समय कोई friend या relative हमारे यहाँ आने के लिए कॉल करते है। तब हम क्या करते है ? ज्यादा