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Change Your Future By Changing Your Attitude

एक बार एक फेरारी कार पेट्रोल डलवाने के लिए पेट्रोल पंप पर गई। वह जो लड़का पेट्रोल डाल रहा था वह उस कार को एकटक निहार रहा था। यह देखकर कार के मालिक ने कटाक्ष मारते हुए कहा कि, 'क्या तुम यह सोच रहे हो कि 1 दिन तुम्हारे पास भी ऐसी कार होगी?' और बहुत जोर जोर से हंसने लगा। यह सुनकर उस लड़के ने कहा कि, 'मैं यह नहीं सोच रहा हूं कि 1 दिन में ऐसी कार का मालिक होगा, लेकिन मैं यह सोच रहा हूं कि यह जिस से चल रही है उसका में मालिक होगा, यानी कि 1 दिन मैं पेट्रोलियम का किंग कहलाऊंगा। यह सुनकर कार वाला जोर जोर से हंसने लगा और वह चला गया। और कुछ सालों के पश्चात वह लड़का सच में पेट्रोलियम का किंग कहलाने लगा। और वह लड़का और कोई नहीं था लेकिन धीरूभाई अंबानी थे। उन्होंने रिलायंस की स्थापना की। रिलायंस के बारे में और धीरूभाई अंबानी के बारे में ज्यादा कहने की आवश्यकता नहीं है  क्योंकि  हर कोई जानता है कि वह कौन है। दोस्तों यदि हम धीरूभाई अंबानी की जगह होते तो हम क्या करते? उस समय हम शर्मिंदा हो जाते और कार तो क्या कार वाले को भी आंख में आंख मिला कर नहीं देख पाते। लेकिन धीरूभाई अंबानी का व्य

Think out of box

सैकड़ों साल पहले एक राज्य में एक ऋण-शार्क रहता था। वह बहुत ही बदसूरत, लालची और मतलबी था। वह छोटे व्यवसायियों को ब्याज पर ऋण देता था, और उसको ना लौटा पाने पर वह उस पर बहुत ही जुल्म करता था। वह बहुत ही निर्दई था। ऋण के लिए वह उस व्यापारी को पूरी तरह से बर्बाद कर देता था। एक बार ऐसे ही उसने एक छोटे से व्यापारी को ऋण दिया। व्यापारी की एक बहुत ही सुंदर कन्या थी। उस ऋण-शार्क की नजर उस कन्या पर थी। किसी कारणवश वह व्यापारी उसका ऋण नहीं चुका पा रहा था। 1 दिन ऋण-शार्क उस व्यापारी के घर पर गया और कहा,'मैं आपका ऋण माफ करने के लिए तैयार हूं किंतु मेरी एक शर्त है इस थैले में मैं दो पत्थर रख लूंगा एक सफेद और एक काला आपकी बेटी को इसमें से एक पत्थर निकालना होगा, अगर वह काला पत्थर निकालते हैं तो मैं आपका ऋण क्षमा कर दूंगा किंतु आपकी बेटी को मुझ से विवाह करना पड़ेगा, और यदि वह सफेद पत्थर निकालते हैं तो मैं आपका ऋण भी क्षमा कर दूंगा और आपकी बेटी को भी मुझ से विवाह करने की आवश्यकता नहीं है।' यह  एक बहुत ही घृणित प्रस्ताव था, किंतु उस व्यापारी के पास उस प्रस्ताव को मानने के सिवा और कोई विकल्प

VISHWAS

एक बहुत छोटा सा राज्य था। उस राज्य पर एक बड़े से राजा ने आक्रमण किया। उसको देखकर वह जो छोटा सा राज्य था उसके सेनापति ने कहा,” कि अब हम नहीं जीत पाएंगे, क्योंकि वह सेना हमसे बहुत ही बड़ी है। हम से 4 गुना ज्यादा है, और उनके साथ जो सामान है वह भी अत्यधिक सामान है ,और हम उसके सामने नहीं टिक पाएंगे।“ यह सुनकर राजा के गुरु जी ने कहा कि, “इस सेनापति को तुरंत ही जेल में डाल दो।“ राजा गुरु जी से पूछ कर ही सब कुछ करता था, इसलिए उन्होंने बिना प्रश्न किए सेनापति को तुरंत ही जेल में डलवा दिया। किंन्तु अब यह प्रश्न आया था कि सेनापति बनेगा कौन? और बिना सेनापति की सेना लड़ेगी कैसे ? गुरुजी ने कहा कि,” मैं सेनापति बन कर जाऊंगा।“ यह सुनकर राजा को बहुत ही आश्चर्य हुआ। क्योंकि गुरु जी को लड़ना तो दूर किंतु घोड़े पर चढ़ना भी नहीं आता था। किंतु राजा को अपने गुरु पर अपार विश्वास था। इसलिए उसने कुछ नहीं कहा। गुरुजी सेना को लेकर चले गए जब वह युद्ध के लिए जा रहे थे, तब रास्ते में एक मंदिर आया। गुरुजी ने कहा कि. “ हमें भगवान की आज्ञा लेनी चाहिए। उनसे पूछना चाहिए कि क्या हम यह युद्ध जित प

साहस ही सफलता की सीढ़ी है

साहस ही सफलता की सीढ़ी है।