life me khush rehne ke tarike/happy life tips in hindi
दोस्तों, जब से ये दुनिया बनी है तब से आदमी की एक ही इच्छा रही है के वे अपने जीवन में हमेश खुश रहे। चाहे वो पाषाण युग हो या आजका 21st century हो। हमारा हर अविष्कार इसी सोच से जन्मा है। चमच्च से ले कर रॉकेट तक हमने इसीलिए बनाये है ताकि हम अपने जीवन में खुश रहे।
आज 21st century में तो हमारे जीवन को आसान और खुश रखने के लिए gadgets की तो मानो बाढ़ सी आ गयी है। चाहे घर का काम हो या ऑफिस का चुटकि बजा कर हो जाता है। घर बैठे मिलो दूर अपने अपनों से न केवल बात कर सकते है मगर उसको देख भी सकते है।
आज internet ने अपना साम्राज्य इस कदर फैलाया है की, दुनिया के किसी भी कोने में क्या हो रहा है वो आप दुनिया के किसी भी कोने में बेठ कर देख सकते है। आज से पहले इतनी सुविधा कभी पहले नहीं थी। हर बात में आज का युग advance है।
शायद ही ऐसा कोई मोर्चा हो जहा पर हम ने तरक्की न करी हो। पर अब सवाल ये उठता है की इतनी तरक्की करने के बाद क्या हमने वो हासिल किया है जिसके लिए हमने इतनी तरक्की करी है?
आज हमारे पास सबसे बढ़िया गाड़ी है, घर है, कपडे है, घडी है, जुते है वो सब कुछ है जो न हो तभी हमरे जीवन में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।, मगर फिर भी आज हम खुश नहीं है, आज जिसके पास जितने ज्यादा facelity इतने ज्यादा वो दुखी ऐसा क्यों?
दोस्तों, क्योकि हमने इस बात को ठहर कर कभी सोचा ही नहीं। हमें लगता है की यदि हम ये सब पा लेंगे तो हम जीवन में सुखी हो जायेंगे, हम खुश हो जायेंगे, और बस यही सोच कर हम दौड़ पड़ते है। नतीजा ये होता है की हम सब कुछ पा तो लेते है मगर वो हमेशा के लिए खो देते है जिस के लिए हमने ये दौड़ लगाई थी।
दोस्तों, वो है हमारी ख़ुशी, हमारा सुख और चैन। तो अब सवाल ये उठता है की हम जीवन में खुश कैसे रहे? यहाँ पर कुछ टिप्स या बातें है अगर हमने उस पर अमल कर लिया तो यकींन मान लीजिये चाहे हम झोपड़े में हो या महलमे हम हमेशा खुश रहेंगे।
1. अपनी ख़ुशी अपने हाथ में।
मेरा ये टाइटल पढ़ कर आप शायद हस रहे होंगे या सोच रहे होंगे की ये कैसा टाइटल है? अगर हमारे हाथ में है तो ये ब्लॉग क्यों?
मगर ये बात सच है दोस्तों। अगर हम ये फैसला कर ले की हमें हमेशा खुश रहना है तो हमको कभी कोई दुखी कर ही नहीं सकता। ख़ुशी और गम हमारे हाथ की बात है। हमें तय करना है की हमें सुखी या खुश रहना है की नहीं?
क्या हमने ऐसे किसी फ़क़ीर को देखा है जिसके पास कुछ भी नहीं होता, फिर भी उसके चेहरे पर एक मुस्कान होती है? अगर हम अपने आस पास के लोगो को गौर से देखेंगे तो हमे कोई न कोई ऐसा व्यक्ति देखेगा की जिसके पास मामूली से संसाधन है मगर फिर भी वो बहुत ही खुश है।
वो लोग इसलिए सुखी है क्योकि उन्होंने सुखी रहने का तय किया है या वो लोग खुश रहना चाहते है।
यदि हमें अपनी मन पसंद आइस क्रीम न मिले तो हम दुखी, अगर हमें बस, ट्रैन या फ्लाइट में अपनी मन पसंद सीट न मिले तो हम दुखी, यदि खाने में नमक कम या ज्यादा हो तब भी हम दुखी। ये और ऐसी कई इतनी छोटी छोटी चीज़े है की इससे हमारे जीवन में कुछ फर्क नहीं पड़ता मगर फिर भी हम दुखी होते है क्योकि हमें दुखी ही रहना है। हमें खुश रहना चाहते ही नहीं ।
दोस्तों, यदि हम ये तय कर ले की हमें किसी भी हालत में खुश रहना है तो दुनिया की कोई ताकत हमें दुखी नहीं कर सकती है। इसलिए आज से ये कसम खालो की चाहे आँधी आए या तूफान, चाहे हम झोपड़ी में रहे या महल में हम हर हाल में खुश रहेंगे। फिर देखिये की दुख या मायूसी हमें छू तक नहीं सकती।
2. निःस्वार्थ दुसरो की सहायता।
ना दौलत से ना शोहरत से, ना बंगला से न गाड़ी से, मिलता हैं दिल को सुकून, किसी की मदद करने से।
जी हा दोस्तों, सच्ची ख़ुशी दुसरो के चेहरे पर हँसी लाने में है। आप कोई भी ऐसा इंसान देख लीजिये जो दुसरो को निस्वार्थ मदद करता है उसके चहेरे पर और जीवन में हमें संतोष और ख़ुशी दिखती है। और इसलिए चाहे वो celibrity हो या आम इंसान वो अपने जीवन में कुछ न कुछ cherity करते है।
दोस्तों हमें हमेशा दुसरो को मदद के लिए तत्पर रहना चाहिए। मगर उसका आनंद हम तभी उठा पाएंगे जब हम ये काम बिना किसी स्वार्थ के करे। हम में से ज्यादातर लोग दुसरो की मदद तभी करते है जब उसको कोई लाभ होता हो। बस यही हम ग़लती करते है।
सहायता एक धर्म है जिसे निःस्वार्थ निभाया जाता है।
दोस्तों अपने लिए तो कोई भी जी ले मगर असली मजा तो दुसरो के लिए जीने में ही है। ये बात कोई माने या न माने मगर मैं बहुत ही दृढ़ता से मानती हूँ। और इसीलिए हमारे धर्म भी हर त्यौहार पर दुसरो की मदद करने को कहा है। क्योकि उसी में सच्चा सुख है। इसलिए यदि जीवन में खुश रहना है तो दुसरो की निस्वार्थ सेवा करना हमें सीखना होगा।
3. भगवान पर दृढ विश्वास।
दोस्तों, 'भगवान पर विश्वास करे' ये ब्लॉग में मैने एक सच्ची कहानी के ज़रिये ये बताया था की कैसे हमारे कष्ट में भगवान हमारी सहायता करते है। (यदि आप ने नहीं पढ़ा है तो यहाँ क्लिक करे। )
नरसिंह महेता, मीरा बाई, ओशो, रजनीश, कालिदास, सूरदास और ऐसे कई उदाहरण है, जिनके पास कुछ नहीं था, अगर कुछ था तो बस भगवान पर दृढ विश्वास, और वो लोग अपने जीवन में कभी दुखी नहीं थे। वो हमेशा मस्त बनके घूमते रहते थे। क्योकि उनको दृढ विश्वास था की यदि मुज पर कोई मुसीबत आयी तो भगवान है ना मैं क्यों फ़िक्र करू?
दोस्तों, ज़रा सोचिये यदि हमारे पिता कोई पुलिस अफसर, मुख्य मंत्री,प्रधान मंत्री,या अमेरिका का राष्ट्रपति हो तो हमें किसी का भी डर रहेगा? नहीं, क्यों? क्योंकि हमें ये विश्वास है की चाहे कोई भी मुसीबत आये वो हमें बचा लेंगे।
यदि हमारे biology पिता हमें कुछ नहीं होने दे तो परमपिता परमेश्वर जिसकी ये सारी सृस्टि है वह हमें कुछ भी होने देंगे? दोस्तों, एक बार उस पिता पर विश्वास कर के देखिये यकींन माने आप कभी भी निराश नहीं होंगे।
4. अपने अंदर ख़ुशी ढूँढे ।/अपने आप में खुश रहे।
दोस्तों, सच्ची ख़ुशी कही बहार नहीं होती। वह हमारे अंदर ही होती है। मगर हमारी विडम्बना ये है की हम उसको बहार ढूंढते है। जिस तरह कस्तूरी मृग के अंदर कस्तूरी होती है और वो उसको बहार ढूंढ़ता है, बिलकुल वैसा ही हमारा भी हाल है।
हमें लगता है की यदि हम ये डिग्री कर ले तो हमें सुख मिलेगा, यदि हम इतने पैसे कमा ले तो हमें ख़ुशी मिलेंगी, यदि हमारे पास ये कार हो तो हमें ये सुख मिलेगा। बस सारा जीवन इसी में चला जाता है। हम बहार ही ख़ुशी ढूंढते है, मगर वो हमें मिलती ही नहीं क्योकि बाहर ख़ुशी है ही नहीं।
अपने अंदर ख़ुशी ढूँढना आसान नहीं, और किसी और जगह इसे ढूँढना संभव नहीं।
ये बात जिस किसी ने भी लिखी है यह बिलकुल ही सही है। मगर यदि हमें खुश रहना है तो ये काम तो करना ही पड़ेगा। इसके लिए एक आसान तरीका ये है की ये बात दिमाग में से निकाल ना होगा की सच्ची ख़ुशी पैसा या प्रतिष्ठा में है।
जिस इंसान ने अपने आप में जीना सिख लिया उसे कोई दुखी कर ही नहीं सकता।
5. जितना है उसमे खुश रहो।
जितनी चादर हो उतने ही पैर पसारो।
ये और एसी कई कहावते है जो हमें हर हाल में संतुस्ट रहने को सिखाती है। दोस्तों, हम दुखी और मायूस तभी होते है जब हमें अपना मन चाहा कुछ न मिले। यानि हमारी आलस ही हमारे दुःख का कारन है। चाहे वो icecrem जैसी कोई छोटी चीज़ हो या घर या कार जैसी कोई बड़ी।
इसका मतलब ये नहीं है की हमें कुछ काम नहीं करना है या सपने देखना छोड़ कर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना है। मगर पूरी महेनत और ईमानदारी से काम कर ने के बाद भी यदि कुछ न मिले या मन चाहा फल ना मिले तो हमें भगवान की मर्जी समज कर आगे बढ़ ना है।
अगर हम ये कर पाते है तो विश्वास कीजिये हम ने जो चाहा था उससे कई अधिक ही हमें मिलता है। इसलिए जो भी है उसमे खुश रह कर हमें अपनी प्रगति करनी है। क्योकि एक दुखी व्यक्ति कभी प्रगति नहीं कर सकता।
Nice👌
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