भरोसा
कल दोपहर घर के सामने छोटे से नीम के पेड़ के नीचे खड़ा होकर मैं मोबाइल पर बात कर रहा था। पेड़ की दूसरी तरफ एक गाय-बछड़े का जोड़ा बैठा सुस्ता रहा था और जुगाली भी कर रहा था।
उतने में एक सब्जी वाला पुकार लगाता हुआ आया। उसकी आवाज़ पर गाय के कान खड़े हुए और उसने सब्जी विक्रेता की तरफ देखा।
तभी पड़ोस से एक महिला आयी और सब्जियाँ खरीदने लगी। अंत में मुफ्त में धनियाँ, मिर्ची न देने पर उसने सब्जियाँ वापस कर दी।
महिला के जाने के बाद सब्जी विक्रेता ने पालक के दो बंडल खोले और गाय-बछड़े के सामने डाल दिए...
मुझे हैरत हुई और जिज्ञासावश उसके ठेले के पास गया। खीरे खरीदे और पैसे देते हुए उससे पूछा कि उसने 5 रुपये की धनियां मिर्ची के पीछे लगभग 50 रुपये के मूल्य की सब्जियों की बिक्री की हानि क्यों की ?
उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- भईया जी, यह इनका रोज़ का काम है। 1-2 रुपये के प्रॉफिट पर सब्जी बेच रहा हूँ। इस पर भी फ्री... न न न!
मैंने कहा- तो गइया के सामने 2 बंडल पालक क्यों बिखेर दिया ?
उसने कहा- फ्री की धनियां मिर्ची के बाद भी यह भरोसा नहीं है कि यह कल मेरी प्रतीक्षा करेंगी किन्तु यह गाय-बछड़ा मेरा जरूर इंतज़ार करते हैं और भईया जी, मैं इनको कभी मायूस भी नहीं करता हूँ। मेरे ठेले में कुछ न कुछ रहता ही है इनके लिए। मैं इन्हें रोज खिलाता हूँ। अक्सर ये हमको यहाँ पेड़ के नीचे बैठी हुई मिलती हैं।
दोस्तों, कईबार हम में से लगभग सब ने कुछ न कुछ सोसाइटी या समाज में कर ने का सोचा होगा। पर हम सब ये सोच कर बैठ जाते है की हम आखिर करे तो करे कैसे ? न हमारे पास पैसा है और न ही power . पर जिसको सच में कुछ करना है उसको नहीं सत्ता की जरुरत होती है और न ही पैसो की। बस मन में कुछ कर ने का जस्बा होना चाहिए।
ये बात सच है की यदि पैसा और सत्ता हो तो हम काफी कुछ कर सकते है। पर याद रहे बून्द बून्द से ही सागर बनता है। एक बार में बाल्टी उमड़ देने से नहीं।
इसलिए जीवन में जब कभी भी कुछ कर ने का मौका मिले तो उसको कभी भी छोड़ना नहीं। या ये सोच के मत टालना कैसे करू? मैं बहोत छोटा हूँ, क्योकि हम में से कोई भी इस सब्जी वाले से ज्यादा छोटा तो नहीं होगा।
सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:🙏🏻
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