एक बार एक अस्पताल में एक ४ -५ साल का लड़का बहुत ही शरारत कर रहा था। बहुत जोर ज़ोर से चिल्ला रहा था। वह सारी चीज़े इधर उधर कर रहा था। सबको बहुत ही परेशनी हो रही थी। उसके पापा वही पर थे और वह ये सब देख रहे थे, पर वह कुछ भी उस लड़के को नहीं कह रहे थे। वह चुप चाप सब कुछ देख रहे थे। थोड़ी देर तक सब ने उस लड़के को बरदास किया पर जब सबने देखा के उसके पापा उस लड़के को डाट ना तो दूर,पर उसको कुछ कह भी नहीं रहे थे, तब वहा बैठे लोगो में से एक ने उसके पापा को शिकायत कर ते हुए कहा की, 'आप का लड़का हॉस्पिटल में इतने उत्पात मचाया हुआ है और आप बैठ के केवल देख रखे है? आप उसको कुछ कहते क्यों नहीं है?' यह सुनकर उस लड़के के पापा बोले की, ' भाई साहब में उसे क्या कहु जिसके माँ दो घंटे पहले ही इस दुनिया से चली गई हो? ये सुन के सब लोग अवाक् रहे गए और अब उस छोटे से बच्चे के प्रति लोगो की दृस्टि बदल गई ।जो लोग कुछ देर पहले उसको शरारती और असंस्कारी मन ते थे, अब उसके प्रति लोगो की सवेंदना प्रगट होने लगी।
दोस्तों हम भी दुसरो के प्रति बिना उसके बारे में पूरा जाने एक धारना बना लेते है। पर वह ऐसा क्यों कर रहा है, वह हम जान ने का प्रयास तक नहीं करते। हर एक के जीवन की अलग अलग कहानी होती हैे, पर हमे उसकी परवाह नहीं होती और इसका नतीजा ये हुआ है के हम आज एक दूसरे से दूर हो चुके है। एक ही घर में रहेके मिलो की दूरी हमारे दिल में आ चुकी है। हमेशा दुसरो के लिए धरना बांधने से पहले हमे ये जरूर सोचना चाहिये की वह ऐसा क्यों कर रहा है?
आज कल स्ट्रेस हमारे जीवन में बहुत आम है। ये बीमारी लगभग १०-१५ सालो में ही बढ़ी है। हमारे माता पिता के पास न हीं इतने पैसे थे, और नहीं ऐसे संसाधन जो आज हमारे और हमारे बच्चो के पास है। फिरभी उनको पता तक नहीं था के स्ट्रेस क्या है। क्या हमने उसका कारन जानने का कभी प्रयत्न किया है? की इतने फैसिलिटी के बाद भी हम सहज जीवन क्यों नहीं जी पा रहे है? उसका कारण है की हमारे जीवन में फैसेलिटी तो बढ़ती जाती है पर इतने हे तेजी से सवेदना घटटी रही है। आज के युग में इमोशन की जो बात भीै करे तो हम उसे बेवकूफ समझते है। हम इंसान बने ही है इमोशन से, यदि हमरे जीवन में से इमोशन को ही निकाल दिया जाये तो हम में रहेगा ही क्या ? क्या फर्क रहेगा हम में और रोबोट में ? यदि आप गौर करोगे तो पता चलेगा की हम में और रोबोट में कोई ज्यादा फर्क नहीं रहा है। अभी भी समय है यदि ऐसा ही चलता रहेगा तो वो दिन दूर नहीं है जब हमारे आने वाले पीढ़ी को ये तक पता नहीं होगा की ख़ुशी किसे कहते है।
आइए आज से ही हम अपने जीवन को एक सही मनुष्य का जीवन बनाते है जिसमे सवेदना हो , प्यार हो, अपनापन हो। नहीं तो आने वाले पीढ़ी हमें कभी क्षमा नहीं कर पायेगी। और सायद हम भी अपने आपको कभी क्षमा नहीं कर पायेंग।
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