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एक  दिन  एक  गरीब  आदमी  एक  सेठ  के  पास  गया  और  उसने  कहा,  सेठ जी, ' आप  मेरी  2  एकड़ जमीन  रख  लो।' 

सेठ  ने  बोला, ' क्या  कीमत  है?'  

गरीब  आदमी  बोला, ' ₹50000।' 

सेठ  थोड़ी  दे र सोचने  लगा  और  फिर  बोला, ' यह  वही  खेत  है  ना  जिसमें  ट्यूबवेल  लगा  है?' 

गरीब  आदमी  बोला,  'हां  आप  मुझे  50000  से  कुछ  कम  भी  देंगे  तो   जमीन  आपको  दे  दूंगा।'  सेठ जी  ने  आंखें  बंद  की  5  मिनट  सोच  कर  कहा,  'मैं  तुम्हें  उसकी  50,000  नहीं  किंतु  200000  दूंगा।' गरीब  किसान  आश्चर्यचकित  रहे  गया।  उसने  कहा, 'पर  मैं  तो  50000  ही  मांग  रहा  हूं  तो  फिर  आप मुझे  दो  लाख  क्यू  देना  चाहते  हैं?  सेठ  बोला,  'तुम  जमीन  क्यों  बेचना  चाहते  हो?'  गरीब  आदमी  ने कहा,  ‘बेटी  की  शादी  करना  चाहता  हूं  मजबूरी  है  इसलिए  मैं  आपको  यह  बेचना  चाहता  हूं।  पर आप  मुझे  दो  लाख  क्यू  देंगे?’  सेठ  ने  कहा, ‘मुझे  जमीन  खरीदनी  है  किसी  की  मजबूरी  नहीं।  अगर तुम्हारी  जमीन  की  कीमत  मुझे  पता  है  तो  मुझे  तुम्हारी  मजबूरी  का  फायदा  नहीं  उठाना  चाहिए। मेरा  भगवान  इस  से  कभी  खुश  नहीं  होगा।  ऐसी  जमीन  या  ऐसा  कोई  भी  साधन  जो  किसी  की मजबूरियों  को  देखकर  खरीदा  जाए  वह  जिंदगी  में  कभी  सुख  नहीं  देता।  यदि  मैं  तुमसे  50,000  मे यह  जमीन  खरीद  लूंगा  तो  मेरी  आने  वाली  पीढ़ी  नष्ट  हो  जाएगी।  और  मैं  तो  तुम्हें  जमीन  बेचने  ही नहीं  दूंगा।  तुम  बेफिक्र  होकर  जाओ  और  अपनी  बेटी  की  शादी  की  तैयारी  करो,  50000  की   व्यवस्था हम  गांव  वाले  कर  लेंगे।  आखिर  वह  हमारी  भी  तो  बेटी  है।  और  तेरी  जमीन  भी  तेरी  ही  रहेगी।


आजकल  हम  देखते  हैं  लोग  ताक  में  रहते  हैं  कैसे  लोगों  की  मजबूरी  का  फायदा  उठाया  जाए।  कोई मजबूर  हुआ  नहीं  उसके  पीछे  लोग  हाथ  धो  कर  पड़  जाते  हैं,  और  उसको  पूरी  तरह  बर्बाद  करके  ही छोड़ते  हैं।  आज  तो  करोना  काल  में  हम  देख  रहे  हैं  कि  एक  दूसरे  की  मदद  करने  की  वजह  लोग गरीब  बेसहारा  मजबूर  को  हर  जगह  पर  लूट  रहे  हैं।  बेचारा  गरीब  अनपढ़  उसे  कुछ  नहीं  पता उसका  फायदा  उठा  कर  के  उसके  पास  जो  भी  थोड़ा  बहुत  बचा  है  उसे  भी  लेने  की  कोशिश  करना  है।  तब  हम  सोचते  हैं क्या  यह ठीक  है?  हम  इंसान  हैं?  क्या  हम  ब्रह्मा  के  सर्वश्रेष्ठ  रचना  है ?क्या ऐसी  होती  है  सर्वश्रेष्ठ  रचना?


दोस्तों  कुछ  भी  कर  लेना  मगर  किसी  की  मजबूरी  का  फायदा  मत  उठाना।  जब  लोग  मजबूरी  में  होते  हैं  तब  उसे  किसी  के  सहारे  की  आवश्यकता  होती  है। यदि  हम  किसी  की  सहारा  ना  बन  पाए  तो  ना  सही  मगर  हमारी  वजह  से  उसको  कोई  तकलीफ ना  हो  इतनी  दरकार  तो  हम  कर  ही  सकते  हैं। याद  रखें    गर  आप  किसी  की  मजबूरी  का  फायदा  उठाते  हैं  तो  आप  से  भगवान  रूठ  जाता है। और  उसके  बाद  आप  का  पतन  शुरू  हो  जाता  है।  यह  सच  है  आप  मानो  या  ना  मानो। और  यह  सिर्फ  आपको  ही  नहीं  आप  कितनी  पीढ़ीयो  तक  को  भुगतना  पड़ता  है।


 इसलिए  सुखी  होने  का  एक  यही  राजमार्ग  है,   किसी  की  मदद  ना  कर  सको  तो  कोई  बात  नहीं,  मगर  किसी  की  मजबूरी  का  फायदा  कभी  मत  उठाओ।


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