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Understand each other



एक  बार  एक  लड़का  अपने  पिता  के  साथ  छोटा  सा  पपी (कुत्ते का बच्चा)  खरीदने  के  लिए  गया।  वह शॉप  में  पहुंचे  और  दुकानदार  से  कहा  कि  हमें   कुछ  छोटे  से  पपी  दिखाइए  हमें  वह  खरीदना  है। दुकानदार  ने  अपने  शॉप  में  1  केनल  में  छोटे -छोटे  कुत्ते   के बच्चे  रखे  थे  वह  दिखाएं।  वह  बच्चे  बहुत ही  छोटे  और  क्यूट  थे,  एक  दूसरे  के  साथ   मस्ती  कर  रहे  थे,  एक  दूसरे  पर   कुद  रहे  थे   और  एक  दूसरे  को  मार  रहे  थे।  वह  अपने  खेल  में  मस्त  थे।  मगर  एक  छोटा  सा  बच्चा  सबसे  अलग लेट  रहा  था।  उस  लड़के  ने  पूछा  कि, “ यह  छोटा  सा  बच्चा  उन  सभी   बच्चों  के  साथ  क्यों  नहीं खेल  रहा  है?”  तब  दुकानदार  ने  कहा, “ उसकी  रीढ़  की  हड्डी  पर  चोट  लगी  है।  वह  कभी  भी  खड़ा नहीं  हो  सकता  है,  वह  अपनी  जिंदगी  ऐसे  ही  काटेगा।“  बच्चे  ने  कुछ  देर  सोचा  और  कहा, “ठीक  है फिर  मुझे  यही  पपी  चाहिए। ” यह  सुनकर  दुकानदार  बहुत  ही  आश्चर्य  चकित  रह  गया  और  कहा, ” क्या  तुम्हें  सच  में  यही  चाहिए  क्योंकि  यह  कभी  खड़ा  भी  नहीं  हो  सकता  है,  नहीं  वह  तुम्हारे  साथ  खेल  पाएगा  नहीं,  वह  तुम्हारे  साथ  वोक  में  चल  पाएगा नहीं,  तुम्हें  उसका  ख्याल  रखना  पड़ेगा वह  तुम्हारा  ख्याल  भी  कभी  नहीं  रख  पाएगा।“  उस  लड़के  ने  अपनी  पैंट  ऊंची  की  और उसने  दुकानदार  को  अपना  पांव  दिखाया।  उस  का  पांव  सलिए  से  बना  था।  यानी  कि आर्टिफिशियल था।  उसके  पास  एक  पाव  ही  नहीं  था।  लड़के  ने  कहा,  “उसको  कोई समझे  ऐसे  इंसान  की  जरूरत  है।  और  हम  दोनों  एक  दूसरे  को  अच्छे  से  समझेंगे, हम  दोनों  से  अच्छा  एक  दूसरे  को  कोई  नहीं  समझ  सकता  है।  इसलिए  मुझे  यही पपी  चाहिए”।

 

कई  बार  हम  लोगों  को  देखकर  एक  अनुमान  बांध  लेते  हैं।  हम  किसी  को  समझने  की  कोशिश  ही नहीं  करते।  इस   के  व्यवहार  को  देखकर  हम  उसके  बारे  में  एक   अनुमान  बांध  लेते  हैं  कि  वह व्यक्ति  ऐसा  ही  होगा,  किंतू  वह  ऐसा  क्यों  है  वह  हम  जाने  की  कोशिश  नहीं   करते। और हम यह उम्मीद लगाते हैं कि हमें सब समझे। याद रखें जो व्यक्ति किसी को समझ नहीं पाता है उस व्यक्ति को भी कोई नहीं समझ पाता। इसलिए यदि आप  दूसरों  से यह उम्मीद रखते हैं  कि  आपको  कोई  समझे तो  पहले  आप  दूसरों को  समझना चालू  कर  दिजीए। और  अगर  आप  यह  नहीं  कर  सकते  हैं, तो  आपको  कोई  अधिकार  नहीं  है  कि  आप  किसी  से  भी  शिकायत  करें।  मैंने ऐसे  लोगों  को  देखा  है  जो  हमेशा  दूसरों  की  गलतियां  निकालते  हैं।  दूसरों  को  समझने की  कोशिश  ही  नहीं  करते।  दूसरों  की  बात  हमेशा  उनको  नेगेटिव  ही  लगती  है।  और वह  दूसरों  से  यह  उम्मीद  करते  हैं  कि  लोग  उसे  समझे।  जब  तक  आप  नहीं  समझोगे, जब  तक  आप  दूसरों  को  समझने  की  कोशिश  ही  नहीं  करोगे,  तो  लोग  आप  को  कैसे समझे?  याद  रखिए  जीवन  में  बहुत  जरूरी  है  कि  हम  एक  दूसरे  को  समझे।


आजकल  डाइवोर्स  की  सबसे  बड़ी  वजह  है  एक  दूसरे  को  ना  समझना।  यह  उम्मीद  करना  कि  सामने  वाला  हमें  समझे।  याद  रखिए  अपने  रिश्तो  की  नींव  चाहे  वो  रिश्ता मां-बाप  का  हो,  भाई  बहन  का  हो,  पति-पत्नी  का  हो,  माता  पिता  और  बच्चों,  का  हो किसी  भी  रिश्ते  में  यदि  हम  एक  दूसरे  को  समझेंगे  तभी  वह  रिश्ता   सफल  हो  पाएगा  अन्यथा  कोई  भी  रिश्ता  अपने  अंतिम  पड़ाव  तक  नहीं  पहुंच  पाएगा।  और  बीच  में  ही  वह  टूट  जाएगा।  इसलिए  यदि  आप  चाहते  हैं  कि  आपके  जीवन  में  जो  रिश्ते  हैं  वह  जीवन  पर्यंत  चले,  तो  आपको  एक  दूसरे  को   समझना  चालू  कर  देना  चाहिए। और  इसके  लिए  पहल  भी  आप  ही  को  करनी  पड़ेगी।  ना  की  अपेक्षा  रखें सामने  वाला पहल  करें  और  बाद  में  मैं।


खास  करके  जो  शारीरिक  निर्बल  है,  हम  उनको  कभी  भी  अपने  समकक्ष  नहीं  मानते  हैं,  हम  उनको कभी  भी  समझने  की  कोशिश  नहीं  करते।  हम  हमेशा   उनका  उपहास  ही  करते  हैं,  जबकि  ऐसे  लोगों को  सबसे  ज्यादा  समझने  की  जरूरत  होती  है।  उनकी  शारीरिक  निर्बलता  को  देखकर  हम  यह  अनुमान लगा  लेते  हैं  कि  वह  हमसे  कमजोर  है।  वह  अपने  जीवन  में  कुछ  भी  नहीं  कर  सकते।  इसलिए  हम उनका  उपहास  करना  चालू  कर  देते  हैं।  ऐसे  लोगों  में  अपार  क्षमताएं  पड़ी  होती  है,  भगवान  ने उनको  कुछ  ना  देकर  बहुत  कुछ  दिया  है  जो  हम  पूरे  इंसान  में  कभी  नहीं  होता।  किंतु  हम  उनको समझने  की  और  जानने  की  जरूरत  नहीं  लगती।  यहां  तक  कि  यदि  ऐसा  इंसान  हमारे  घर  में  भी  है फिर  भी  हम   उनकी  उपेक्षा  और  उपहास  करते  हैं।  और  तब  ऐसे  इंसान  ऐसे  लोगों  को  या  ऐसी चीजों  को  ढूंढते  हैं  जो  उन्हें  समझ  सके।  इसलिए  यदि  आपके  घर  में  ऐसा  कोई  है   आप  के  आजू-बाजू या  कहीं  पर  भी  आपको  ऐसे  कोई  दिखे  तो  उसकी  उपेक्षा-उपहास  करने  के  बजाए  उसको  समझने की  कोशिश  कीजिए। उनको  प्रेम  की  उनको  विश्वास  की  बहुत  ज्यादा आवश्यकता  है।


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