फोर्ड कंपनी के संस्थापक हेनरी फोर्ड एक बार एक बुक स्टॉल में गए। जहा उन्होंने एक बुक देखि। जिसका नाम था कम समय में कैसे ज्यादा पैसे कमाए जाये। हेनरी फोर्ड वो बुक देखने लगे। तभी बुक स्टाल के मालिक ने कहा की, इसका लेखक यही पर है क्या आप उनसे मिलना चाहेंगे? हेनरी फोर्ड ने मिलने की इच्छा जताई, तभी वहा पे उस बुक का राइटर आया। हेनरी फोर्ड ने उसे सर से लेके पाव तक देखा। वह बहुत बुरे हाल में था उसका कोट और हैट बहुत ही पुराणी और फटी हुए थी। हेनरी फोर्ड ने तुरंत वह बुक निचे रखदी। बुक स्टॉल वाले ने जब उसका कारन पूछा तो हेनरी फोर्ड ने उसक उत्तर देते हुए कहा की, "जिसके नुस्खेसे वह स्वयं ही कुछ हासिल नहीं कर पाया उससे मुझे क्या फायदा होगा ?" फिर वह उस राइटर की और देखते हुए कहा के, वैसे तुम कैसे जाओगे अपने घर तुम्हारे पास तो कार नहीं होगी न?" उस राइटर ने कहा की, "नहीं में तो मेट्रो से चला जाऊंगा।" तब हेनरी फोर्ड ने कहा की मुझसे आके मिलना मेरे पास कई कार है मैं तुम्हे सस्ते में दिलवा दूंगा। लोगो को वह विचार मत दो जिससे तुम कुछ हासिल नहीं कर पाए।"
यह कहानी उन सभी को समर्पित है जो बड़ी बड़ी बातें तो बहोत करते है, मगर उसका अमल वह अपने जीवन में नहीं कर पाते या तो उसका जीवन में नहीं होता। चाहे वो राइटर हो, टीचर हो स्पिरिचुअल वयकति हो या कोई ओर। आज कल फेसबुक, यूट्यूब, ब्लॉग के ज़माने में कोई भी आके इतने बड़ी बड़ी बाते करता है की हमे लगता है की उससे बड़ा ज्ञानी कोई हो ही नहीं सकता। किन्तु वह कोरा ज्ञान किसी काम का नहीं जिससे दुसरो को और स्वयं को कोई लाभ न हो।
आज कल 'मार्किट' में 'सफल कैसे हो?', 'सुखी कैसे हो?' पतला कैसे हो?' ये सब चीजोमे घ्यान वाले विडिओ एंड ब्लोग्स कई सरे है,किन्तु इनमेसे सही कौनसा है ये कहना बहुत ही मुश्किल है। कई नुस्खे या विचार तो ऐसे होते है की यदि उसका पालन करदिया तो लाभ से ज्यादा नुकसान ज्यादा होता है।
ऐसे लोगो को हम रोक तो नहीं सकते किन्तु हम इतने जागरूक तो हो सकते है के अनुसरन से पहले सही गलत की पहचान करे। अन्यथा हम अपना अमूल्य जीवन ऐसे ही गवा सकते है। इसलिए किसीका भी नुस्खा अनुसरण करने से पाहेले सावधान अवश्य हो जाइए।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
Please do not enter any spam link in the comment box.