एक लोक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार पुराने समय में एक शिष्य ने अपने गुरु से कहा कि मुझे जल्दी से जल्दी सफलता चाहिए। कोई ऐसा तरीका बताएं, जिससे हर समस्या जल्दी से जल्दी हल हो सकती है।
गुरु ने शिष्य से कहा कि ठीक है मैं एक ऐसा तरीका बता दूंगा, जिससे सारी दिक्कतें दूर की जा सकती हैं। लेकिन, पहले तुम मेरी बकरी को खूंटे से बांध दो। गुरु ने बकरी की रस्सी शिष्य के हाथ में पकड़ा दी।शिष्य ने कहा ठीक है। उसको तो ये काम बहुत ही सरल लग रहा था। मगर बकरी किसी से भी आसानी से काबू में नहीं आती थी। यह बात शिष्य नहीं जनता था।
शिष्य ने जैसे ही बकरी को खूंटे से बांधने लगा, वह उछल-कूद करने लगी। शिष्य को बहुत ही गुस्सा आ रहा था। वह बकरी को जितना ज्यादा कस के बांधने का प्रयास कर रहा था, उतनी ही ज्यादा बकरी उछल कूद कर रही थी। और वह शिष्य की पकड़ में नही आ रही थी। बहुत कोशिश करने के बाद भी बकरी काबू में नहीं आ रही थी। शिष्य ने जितना सोचा था उतना ये आसान काम नहीं था। ।थोड़ी ही देर में वह थक हर के बेठ गया। तब उसको उसके गुरु की सीखाइ बात याद आई। के हर काम बल से नहीं होता , जो काम बल से करना असंभव हो वो बुद्धि से सहजता से कर सकते हो। तब शिष्य ने चतुरता से उसे पकड़ा और उसके पैर रस्सी से बांध दिए। इसके बाद शिष्य ने बकरी को खूंटे से आरामा से बांध दिया।
गुरु ये सब देख रहे थे। शिष्य की बुद्धिमानी देखकर गुरु प्रसन्न हो गए। गुरु ने कहा कि ठीक इसी तरह किसी भी समस्या की जड़ को पकड़ लेने से बड़ी से बड़ी समस्या बहुत ही आसानी से हल हो सकती है। यही सफलता का मूल मंत्र है।
जीवन सार
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