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story of kfc owner


 अगर कोई आपसे ये कहे की एक बच्चा जो गरीब परिवार से है। और ऊपर से जिसके सर पर से केवल ५ वर्ष के उम्र में ही पिता का साया उठ गया हो, और उसके सर पे अपने छोटे भाई बहन और माँ की जिम्मेदारी आ गई हो।  और अपने  जीवन में ४० से भी ज्यादा समय तक अगल अगल क्षेत्र में से या तो निकल  दिया गया हो। या तो उसने खुद छोड़ दी हो। क्या आप सोच सकते है की जो एक ही क्षेत्र में १००८ बार रेजिस्ट हुआ हो वो आदमी अपने  कभी सफल हो पायेगा? 

हम कहेंगे नहीं, ये तो हो ही नहीं सकता की ऐसा कोई भी आदमी अपने जीवन में सफल तो दूर पर कभी एक नार्मल लाइफ नहीं जी पाया होगा।

और अगर मैं ये ःकहु की वो केवल सफल ही नहीं मगर एक ब्रांड बना है। एक ऐसा ब्रांड जो पुरे दुनियामे इतना प्रसिद्ध है की शायद ही कोई हो जो इसको न जनता हो तो? 

जी है उस आदमी का नाम है Colonel Harland Sanders  और  का नाम है, KFC (Kentucky fried chicken)


कर्नल सैंडर्स का जन्म 9 सितम्बर 1890 को  अमरीका के इंडियाना प्रान्त के हेनरिविले नामक कस्बे में एक गरीब परिवार में हुआ था।  उनके पिता विल्बर डेविड कसाई थे और माता गृहणी। वे तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उनके पिता की असमय मृत्यु जब हुई, उस समय वे मात्र 5 वर्ष के थे।  पिता का साया सिर से उठने के बाद उनके जीवन में मुश्किलों का सिलसिला प्रारंभ हो गया।  उनकी माँ ने बच्चों के भरण-पोषण के लिए एक टमाटो फैक्ट्री में नौकरी कर ली।  ऐसे में छोटे भाई-बहनों की देख-रेख तथा घर संभालने का जिम्मा सैंडर्स के छोटे कन्धों पर आ पड़ा। और शायद इसी कारण वश उन्हों ने केवल ७ वि तक ही पढाई की और उसके बाद उन्ही घर चलने के लिए नौकरी करनी पड़ी। खाना बनाने में अपनी माँ की मदद करने के फलस्वरुप सात वर्ष की उम्र तक आते-आते वे कई क्षेत्रीय व्यंजन बनाने में दक्ष हो गए। 



कुछ वर्षों पश्चात् उनकी माँ ने दूसरा विवाह कर लिया और बच्चों समेत अपने पति के घर चली गई।  सैंडर्स के सौतेले पिता अक्सर उन्हें और उनके छोटे भाई-बहनों को पीटा करते थे। एक दिन पिता के अत्याचारों से तंग आकर सैंडर्स घर से भाग गये और गुजर-बसर करने के लिए एक खेत में मजदूरी करने लगे।  उस समय उनकी उम्र 11 बरस थी।  कुछ वर्षों तक वे यूँ ही बेघर यहाँ-वहां धक्के खाते रहे। लेकिन तमाम परेशानियों के बाद भी उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं हारी।  वे अपने भविष्य संवारने की आशा में अथक परिश्रम करते रहे. 15 वर्ष की उम्र में वे बस कंडक्टर बने और 16 वर्ष की उम्र में वे अपने गलत उम्र बता के United State Army में भर्ती होकर क्यूबा चले गए। किन्तु वह वे पकडे गए और उन्हें आर्मी में से निकल दिया गया। वे कुछ समय तक एक लोहार के सहायक के तौर पर काम करते रहे।  फिर उन्हें Illinois Central Railroad में fireman की नौकरी मिल गई। नौकरी में स्थायित्व प्राप्त हुआ, तो उन्होंने ‘जोसेफिन किंग’ से विवाह कर लिया. उसके बाद कुछ वर्षों तक वे पत्नी और तीन बच्चों के साथ एक सुखी जीवन व्यतीत करते रहे।  लेकिन, एक दिन कार्यस्थल पर उनका एक colleague ले झगड़ा हो गया और उन्हें अपनी नौकरी गंवानी पड़ी।  इस परीक्षा की घड़ी में उनकी पत्नी भी उन्हें छोड़ गई। 


रेलवे में नौकरी के साथ-साथ वे law का correspondence course भी कर रहे, जो नौकरी जाने के बाद उनके काम आया।  उन्होंने law Practice शुरू कर दी। लेकिन फिर भी उन्हें स्थायित्व नसीब नहीं हुआ।  40 वर्ष की उम्र तक पहुँचते तक वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटकते रहे, job पर job बदलते रहे और कई व्यवसायों में अपना हाथ आज़माते रहे।  उन्होंने life insurance बेचे, salesman का काम किया, उन्होंने साल 1920 में नाव बनाने की एक कंपनी खोली।  कुछ समय बाद उन्होंने इसकी जगह लैंप बनाने का काम शुरू करने का विचार बनाया। सैंडर्स फिलहाल इस बारे में सोच ही रहे थे कि एक अन्य कंपनी ने काफी बेहतर लैंप को बाजार में उतार दिया और बेचारे सैंडर्स इस काम को फिर शुरू नहीं कर पाए। 

लगातार असफलताओं के बाद भी सैंडर्स ने प्रयास करना नहीं छोड़ा. 40 वर्ष की उम्र में वे कार्बिन, केन्टकी आ गए और एक service station खोल लिया।  Service station से प्राप्त होने वाली आमदनी पर्याप्त नहीं थी।  अतः आमदनी में बढ़ोत्तरी के उद्देश्य से उन्होंने service station के पीछे बने कमरे में एक टेबल और कुछ कुर्सियां डाल दी और वहाँ आने-जाने वाले ड्राइवरों और यात्रियों को पेन-फ्राइड चिकन, हेम, स्टीक व अन्य खाद्य पदार्थ बनाकर खिलाने लगे। पहले  वो अपने चिकन लोगो को फ्री में बाट ते थे ताकि लोग उनकी रेस्टोरेंट तक आये। 

लोगों को उनके बनाये खाने का स्वाद इतना पसंद आया कि वे उनका बनाया खाना खाने के लिए वहाँ आने लगे।  लोगों की बढ़ती हुई संख्या देखकर उन्होंने सड़क के दूसरी ओर एक मोटल और रेस्तरां खोल लिया, जिसमें लगभग 142 लोग एक साथ बैठकर खाना खा सकते थे।  लोगों को उनका बनाये खाने में Pan Fried Chicken विशेषरूप से पसंद था।  अतः वे अपनी इस recipe पर लगातार कार्य करते रहे, ताकि यह unique बन जाये। आख़िरकार 9 वर्षों की मेहनत के उपरांत उन्होंने 11 herbs और spices से युक्त अपनी Pan Fried Chicken की recipe पूर्ण कर ली।   यह recipe उनके रेस्तरां की USP बन गई। सैंडर्स अपने Pan Fried Chicken के कारण मशहूर हो गए. उनका बनाया चिकन केन्टकी के गवर्नर को इतना पसंद आया कि उन्होंने 1935 में हरलेन सैंडर्स को ‘कर्नल’ की उपाधि से विभूषित कर किया। उनका रेस्तरां अच्छा चल रहा था।  उनके रेस्तरां के चलने का एक बड़ा कारण यह था कि वह फ्लोरिडा जाने के मार्ग में अवस्थित था, जिससे उस मार्ग पर गुजरने वाले यात्रियों की नज़र उनके रेस्तरां पर पड़ती और वे उसका रुख कर लेते। लेकिन 1950 के दशक में एक अप्रत्याशित मुसीबत उनके समक्ष आ गई।  फ्लोरिडा जाने के लिए एक नए हाई-वे का निर्माण हो गया, जो कार्बिन से होकर नहीं गुजरता था।  इससे सैंडर्स का व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ और वे कर्जे में डूब गए। कोई चारा न देख उन्होंने अपना रेस्तरां बेच दिया।  कर्जे चुकाने के बाद उनके पास social security के 105 डॉलर के चेक के अलावा  कुछ भी न बचा। इसके बाद उन्होंने दोबारा से एक नया रेस्तरां खोला, लेकिन इस बार विश्व युद्ध छिड़ने के चलते ये भी बंद हो गया


वे 65 वर्ष के हो चुके थे और सरे जिंदगी काम करने के बाद भी उनके हाथ कोई पूंजी शेष नहीं थी। उनके समक्ष सबसे बड़ी समस्या ये थी कि जीवन-यापन के लिए अब क्या करें? पूंजी उनके पास थी नहीं।  ऐसे में उन्हें एक idea आया कि क्यों न उस वस्तु का ही उपयोग किया जाये, जो उनके पास उपलब्ध है, और वह वस्तु थी – उनकी Fried Chicken की recipe 

उन्हें अपनी Fried Chicken की recipe के स्वाद पर पूरा भरोसा था। इसलिए इसे ‘Kentucky Fried Chicken’ का नाम देकर उन्होंने इसकी  franchisee बेचने का इरादा कर लिया।  लेकिन ये  भी नहीं था।  विभिन्न रेस्तराओं में visit कर इस सम्बन्ध में चर्चा करने लगे,उन्होंने लगभग 600 प्रान्तों का दौरा किया और हजारों रेस्तरां मालिकों से संपर्क किया। कई लोगों के उनका प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया और कई लोंगों ने उनका मजाक भी उड़ाया।  लेकिन वे विचलित नहीं हुए और अपने दौरे जारी रखे. 1008 रेस्तरां मालिकों द्वारा reject कर दिए जाने के उपरांत आखिरकार 1009 वें रेस्तरां मालिक ने उनका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और Fried Chicken की पहली franchisee sign कर ली. उस recipe के कारण उस रेस्तरां की बिक्री में असाधारण रूप से वृद्धि हुई, जिसे देखकर अन्य रेस्तरां मालिकों के भी कर्नल सैंडर्स से franchisee लेना प्रारंभ कर दिया और इस तरह KFC रेस्तरां चेन की शुरुआत हुई। 

यह विश्व का पहला रेस्तरां चेन था, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विस्तारित हुआ।  1964 तक आते-आते अमरीका और कनाडा में KFC के लगभग 600 outlet खुल गये। 1964 में सैंडर्स ने 2 मिलियन डॉलर में Kentucky fried chicken corporation एक अमरीकी कम्पनी को बेच दिया और आजीवन इसके वैतनिक Brand Ambassador बने रहे।  16 दिसंबर 1980 में लूकेमिया से कर्नल सैंडर्स का निधन हो गया. लेकिन आज भी वे KFC के Star Icon के रूप में जीवित है। 

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