दोस्तों, हम अपने जीवन में हमेशा फरियाद रहते है। यदि हम अपना पूरा एक दिन का निरक्षण करे तो हमें पता चलेगा की हम कितनी बार भगवन से लोगो से फरियाद करते है। यदि हमें कुछ न मिले तो फरियाद, यदि कुछ मिलजाए तो भी हम फरियाद करेंगे की इतना ही क्यों मिला ? हमारा पूरा जीवन फरियाद में ही निकलता है। उससे ये होता है की हम सदा निराश और हताश ही रहते है। जो है उसको मारे पास है उसको हम एन्जॉय भी नहीं कर सकते, और जो नहीं है उसका हम हमेश रोना रोते रहते है।
दरसल हमें आदत पड़ गई है फरियाद करने की, और इस बात की हमें खबर ही नहीं होती। मुझे भी नहीं थी , मुझे तब पता चला जब मैंने ये स्टोरी पढ़ी। और अपने जीवन को देखा।
रेगिस्तान में एक पक्षी रहता था, वह बहुत ही बीमार था। उसके एक भी पंख नहीं थे। उसके पास खाने पीने कुछ नहीं था, और न ही रहने के लिए कोई आश्रय। वह बहुत ही दयनीय हालत में था। एक दिन उस पक्षी ने एक कबूतर को उड़ते हुए जाते देखा। उसने उस कबूतर को बुलाया। कबूतर आया , उसने उस पक्षी की हालत देख कर उसको बहुत दया आयी। और कबूतर ने कहा की, मैं तुम्हारी सहायता कर सकता हु? पक्षी ने कबूतर से पूछा की, "तुम कहा जा रहे हो?" कबूतर ने कहा की, "मै स्वर्ग में जा रहा हु।" बीमार पक्षी ने कहा- "कृपया मेरे लिए पता करें, मैं कई वर्षो से ऐसे ही पीड़ा भुगत रहा हु। मेरी पीड़ा कब तक समाप्त हो जाएगी?" कबूतर ने कहा- "निश्चित ही मैं पता करूँगा।" कबूतर ने इतना कह कर बीमार पक्षी से विदा ली। कबूतर स्वर्ग पहुंचा और प्रवेश द्वार पर देवदूत को बीमार पक्षी का संदेश दिया। देवदूत वह सन्देश लेके भगवन के पास पंहुचा, भगवन ने वह सन्देश देखा और देवदूत को सलाह देके वापस कबूतर के पास भेजा। देवदूत ने कहा- "पक्षी के जीवन में अगले सात वर्ष तक इसी तरह कष्ट लिखा हुआ है उसे ऐसे ही सात वर्ष तक कष्ट भोगना पड़ेगा, तब तक उसके जीवन में कोई खुशी नहीं है।कबूतर ने कहा- "जब बीमार पक्षी यह सुनेगा तो वह निराश हो जाएगा क्या आप इसके लिए कोई उपाय बता सकते हैं।देवदूत ने उत्तर दिया-"उससे कहो कि इस वाक्य को हमेशा बोलता रहे... "इन सब के लिए भगवान तेरा धन्यवाद है"।
वापिसी पर जब वह बीमार पक्षी कबूतर से फिर मिला तो कबूतर ने उस स्वर्गदूत का संदेश दिया सात-आठ दिनों के बाद कबूतर जब फिर उधर से गुजर रहा था, तब उसने देखा कि पक्षी बहुत खुश था उसके शरीर पर पंख उग आए थे। उस रेगिस्तानी इलाके में एक छोटा सा पौधा लगा हुआ था, वहां पानी का एक छोटा सा तालाब भी बना हुआ था चिड़िया खुश होकर नाच रही थी कबूतर चकित था। देवदूत ने कहा था कि अगले सात वर्षों तक पक्षी के लिए कोई खुशी नहीं होगी इस सवाल को ध्यान में रखते हुए कबूतर स्वर्ग के द्वार पर देवदूत से मिलने पहुंच गया।कबूतर ने देवदूत से अपने मन में उठते हुए सवालों का समाधान पूछा तो देवदूत ने उत्तर दिया- "हाँ..!! यह सच है कि पक्षी की जिन्दगी में सात साल तक कोई खुशी नहीं लिखी थी लेकिन क्योंकि पक्षी हर स्थिति में "इन सब के लिए भगवान तेरा धन्यवाद है।" बोल रहा था और भगवान का धन्यवाद कर रहा था, इस कारण उसका जीवन बदल गया जब पक्षी गर्म रेत पर गिर गया तो उसने कहा- "इन सब के लिए भगवान तेरा धन्यवाद है।"जब यह उड़ नहीं सकता था तो उसने कहा-"इन सब के लिए भगवान तेरा धन्यवाद है।"जब उसे प्यास लगी और आसपास पानी नहीं था, तो उसने कहा- "इन सब के लिए भगवान तेरा धन्यवाद है।"जो भी स्थिति हो, पक्षी दोहराता रहा- "इन सब के लिए भगवान तेरा धन्यवाद है।" और इसलिए सात साल सात दिनों में समाप्त हो गए।
जब मैंने यह कहानी सुनी तो मैंने अपने जीवन को महसूस करने सोचने स्वीकार करने और देखने के तरीके में एक जबरदस्त बदलाव महसूस किया.. मैंने अपने जीवन में इस को अपना लिया "इन सब के लिए भगवान तेरा धन्यवाद है। ये वाकय मेने अपनाया और विश्वास कीजिये इससे मेरे जीवन में जबरदस्त बदलाव आया। अब मै किसी भी घटना के लिए किसीको दोषी मानने के बजाय हमेशा भगवान को या उस व्यक्ति को thanks करती हु। इससे मेरा फायदा ये हुआ की मुझे किसी व्यक्ति भगवान के प्रति नफरत या तिरस्कार नहीं आते। उससे मेरा मन प्रसन रहता है और उस situation जो मेरे मन के मुताबिक जिसका result नहीं था उसके बारे में विचार कर उसे सुधार ने का प्रयत्न करती हु।
जबकि उससे पहले मैं भगवान या व्यक्तियों को दोष देने में ही अपना समय और ऊर्जा नष्ट करती थी। मुझे लगता था की सभी लोग मेरे विरुद्ध है, सभी मुझे परेशान करते है, और हमेशा दुखी रहा करती थी। उससे मैं अपने problem पर focus नहीं कर पाती थी। और हमेंशा प्रॉब्लम में घिरी रहती थी। लेकिन आज ऐसा नहीं है। आज मैंने ये स्वीकार कर लिया है की जीवन मैं हमेशा अपने मन मुताबिक नहीं होगा, मगर जो होगा वो मेरे अच्छे के लिए होगा।
"इसने मुझे मेरे विचार को, मेरे जीवन में शिफ्ट करने में मदद की, जो मेरे पास नहीं है उसको रोने की बजाय जो मेरे पास है उसको मैंने enjoy करना start किया, तो मैंने पाया की मेरे पास कितना कुछ है, और मैं व्यर्थ में ही फरियाद कर के उसको गवा रही थी।
मैं कहती की अब मुझे दुःख नहीं होता। दुःख होता है मगर किसी से फरियाद नहीं होती। उस दुःख में से मैं अपने आपको बहुत ही जल्द बहार ला पाती हु। और इससे मुझे जो मानसिक शांति मिलती है उसका मैं वर्णन नहीं कर सकती।
इसके बाद मुझे ये अहसास हुआ की सच में सुखी या दुखी रहना अपने हाथ। यदि हमारे कर्म अच्छे है तो भगवान हमें कभी दुखी नहीं करता। और जिसके पास भगवान है उसको कोई इंसान भला क्या दुखी करेगा?
आपभी इस वक़्यको अपनाइए अपने जीवन के बदलाव का अनुभव कीजिए, और मुझे ज़रूर कमेंट कर बताइएगा।
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