दोस्तों, आज मैंने एक आर्टिकल पढ़ा जिसमे ये लिखा था की दुनियाकी ८०% से भी ज्यादा money दुनियाके 10 % लोगो के पास है। (ठीक से पढियेगा केवल एक country का मनी नहीं पूरी दुनिया का money है।) और बाकि दुनिया की ९०%आबादी के पास यानि हम लोगो के पास केवल २०% से भी कम पैसे है। यानि जो हम प्रॉपर्टी या पैसे के लिए लड़ जगड़ रहे है वो उसकी value कुछ भी नहीं है।
(मैं ये दावा बिलकुल नहीं करती के ये सच है जो मैंने पढ़ा और जो मुझे विचार आया वो ही मैं उसी को share कर रही हु।)
ये पढ़ के मुझे एक विचार आया की ये अगर बात सच है तो, उनके पास ऐसा कौन सा गुण है जो उनको इतना सफल और हम से अलग बना देता है। रतन टाटा, मुकेश अम्बानी, सुधा मूर्ति ये कुछ वो नाम है जिसको हम जानते है। जो इतने सफल है की हम और आप जैसे लोग सोच भी नहीं सकते। बात यहाँ पे पैसा कि नहीं सफलता की है। जहा सफलता होगी पैसा वहा आ ही जाता है। उनके पास ऐसा कौन सा मंत्र है जो फूकते ही वो सफलता के शिखर पे पहुंच जाते होंगे? और वो मन्त्र केवल दुनिया के १०% लो के पास है तो secret भी होगा।
और तभी मुझे वो मंत्र भी याद आया और एक कहानी भी। आप जानना चाहते है वो मंत्र? तो पहले ये कहानी सुनिए।
एक गांव में एक किसान रहता था। उसका पूरा जीवन खेतीबारी से ही चलता था। अगर फसल अच्छी आई तो उसका साल अच्छा जाता, और अगर फसल बुरी आई तो उसका साल बुरा जाता। वो भगवान का बहुत ही बड़ा भक्त था। जैसे की हम जानते है की फसल अच्छी तभी होती है जब बारिश और धुप अच्छी हो।
एक बार ऐसा हुआ की २-३ साल उसकी फसल बहुत ख़राब गई। कभी अच्छी बारिश नहीं थी, तो कभी अच्छी धुप नहीं आती। इस वजह से २-३ साल तक उसकी अच्छी फसल नहीं हुई। अब हालत ये थी की घर में खाने के भी लाले पड़ने लग गए थे। बच्चे भूख से बिलख रहे थे। एक दिन कंटाल कर वह गुस्से में भगवान से वह फरियाद करने लगा। वो भगवन का भक्त तो था ही। और भगवान भी भक्त वत्सल कहलाते है। इसलिये वो किसान के सामने प्रगट हुए। भगवान को देखते ही किसान आगबबूला हो गया, और वह भगवान को भला बुरा कहने लगा। उसने कहा की, "आपको कुछ पता चलता है की नहीं ? जब बारिश चहिये तब धुप देते हो और जब धुप चाहिए तब छाँव कर देते हो। आप को पता भी है की खेतीबाड़ी कैसे करते है?..... "
भगवान किसान की बात सुनते रहे, फिर वह मुस्कुराके बोले की तुम क्या चाहते हो? अबसे वही होगा जो तुम चाहोगे।" भगवान की बात सुन के किसान बहुत ही खुश हो गया उसने दो हाथ जोड़ के कहा की," हे भगवान फिर ठीक है जब मैं चाहु तब धुप निकले, जब मैं चाहु तब बारिश हो। जैसा मैं कहु वैसा मौसम रहे। " भगवान तथास्तु कहे कर अंतर्ध्यान हो गए।
किसान बहुत ही खुश हो गया। अब उसकी सारी समस्या दूर हो गई। वो जब चाहता धूप होती। वह जब चाहता बारिश होती। उसने अपने खेत में गेहु उगाये थे। उसके कहे अनुसार ही मौसम बनती इसलिए उसके गेहू की फसल बहुत ही अच्छे दिख रखी थी। गेहू की खली भी बहुत ही बड़ी बड़ी दिख रही थी। किसान की आनंद की कोई सिमा नहीं थी। उसको लगा की अब वो ऐसे ही खेतीबाड़ी करेगा और वो बहुत ही अमीर किसान बन जाएगा।
जब उसकी फसल तैयार हो गई, और जब खली को खोला गया तो पाया की उसमे गेहू ही नहीं थे। फसल सिर्फ देखने में ही अच्छी थी। किसान फिर से गुस्सा हो गया। उसकी सारी महेनत और सपनो पर पानी फिर गया। वो फिर से भगवान को कोसने लगा। इसबार फिर से भगवान प्रगट पूछा की, अब क्यों दुखी हो? तुम जैसा चाहते थे वैसा ही मौसम रहा। अब मुझे क्यों कोस रहे हो ?"
तब किसान ने कहा की, "फसल कहा अच्छी हुए है। मेरे कहे अनुसार मौसम जरूर था, पर आप देखे इस खली में एक भी दाना गेहू का नहीं है। इससे अच्छी तो मेरे पहलेवाली फसल होती थी। उसमे कुछ दाना तो निकलते इसमें तो कुछ भी नहीं है।" तब भगवान ने कहा की," इसमें मेरा कोई दोष नहीं है। दोष तुम्हारा है। तुमने अपनी फसल के लिए मनमांगी मौसम मांगी थी। इससे तुम्हारी फसल को कोई महेनत ही नहीं करनी पड़ी। उसे बैठे बिठाये ही अपने अनुकूल मौसम मिल गया। उससे तुम्हारे फसल को संघर्ष ही नहीं करन पड़ा। और बिना संघर्ष फल की प्राप्ति भी नहीं होंगी। अपने प्रतिकूल मौसम में वह पलती तो वह संघर्ष करती उस संघर्ष से वह निखरती तो दाने आते। बिना संघर्ष के कुछ भी हासिल नहीं होता।"
किसान ने भगवान की बात सुनी और उसे ये अहसास हुआ कि उसने कहा गलती की है। वह बिना महेनत के ही सब कुछ पाना चाहता था। जो कोई संभव नहीं था। उसने भगवान से मांगी और वह खूब महेनत करता गया, बिना किसे से कोई शिकायत किये।
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