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दोस्तों पिछले लगभग ५० - ६० साल में body pain की समस्या बहुत ही बढ़ गई है। पहले हमारे दादी या नानी को कोई भी body pain की समस्या नहीं थी जब की उनके पास कोई भी संसाधन या gadgets नहीं थे। वह घर का सारा काम खुद ही किया करते थे। और वह भी कच्चे घर और आज हमारे घर से कई बड़े थे। और साथ ही गाय -भैंस जैसे पशु भी थे, उनका काम भी खुद ही किया करते थे। लेकिन ये समस्या हमारे माँ से हमको सुनने को मिली थी वो भी ६० साल की उनकी उम्र के बाद , जिनके पास हमारे दादी या नानी से ज्यादा सुविधा थी और इतना काम भी नहीं था। और आज हमको ये समस्या है और वो भी हमारी माँ से ज़्यादा, और वोभी ४० साल में ही। जब की आज संसाधन की कोई सीमा नहीं है।
ऐसा क्यों? इतने संसाधन होने के पश्चायत भी हम body की इतनी समस्या से क्यों घिरे रहते है? हम कहेंगे की 'इसी लिए तो घिरेै क्योकि हम करते जब की हमारे दादी -नानी और माँ हमसे ज्यादा काम करते थी।
ये बात सही है मगर एक और resion है और वो है मानसिक। चौक गई न, मई भी इसी तरह से चौक गई थी जब मैंने ये कहानी सुनी। ये सत्य घटना पे आधारित ही।
अमेरिका में एक मार्क नाम का आदमी रहता था। उसको सालो से घुटनो में बहुत दर्द रहता था। उसने कई doctors बदले, कई दवाइया कराइ। हर संभव प्रयास किया किन्तु दर्द दिनबदिन बढ़ता ही गया। फिर वो psychiatrist के पास गया। (Europe countries में psychiatrist के पास जाना बहुत ही आम बात है।) psychiatrist ने पूरी बात सुने और मार्क पूछा की, "क्या तुम्हरे मन में किसी के लिए गुस्सा या नफरत है?" मार्क ने कहा, हां है , १० वर्ष पहले में अपने भाई को ५००० डॉलर उधार दिए थे। जब मुझे पैसो की जरुरत थी तब मेरे मांगने पर वह मुकर गया की तुमने मुझे नहीं दिए थे। मैंने उसको बहुत समझाया किन्तु उसने मुझे पैसे नहीं दिए। बस तब से लेके आज तक मैं अपने भाई से नफ़रत करता हु।" psychiatrist ने कहा की, "आपको ये तकलीफ उसके बाद ही शुरू हुई थी?" मार्क ने कहा, "हां शायद" तब psychiatrist ने कहा की , " आप एक काम कीजिये, कल ५००० डॉलर ले कर अपने भाई के पास जाइए और उनसे माफ़ी मांगिये और कहिये की आपसे भूल हुए है मैंने आपको ५००० डॉलर नहीं दिए थे।" ये सुन कर मार्क एकदम गुस्सा हो गया और doctor को भला बुरा कह कर चला गया।
किन्तु कुछ दिनों के बाद वह फिर doctor के पास आया और उसने पूछा की, "क्या मेरा ऐसा करने से मेरे घुटनो का दर्द चला जायेगा? "। डॉक्टर ने कहा, "आप कर के देखिये "।
कुछ दिनों के बाद मार्क डॉक्टर से मिलने आया। वह बहुत ही खुश था। उसने कहा की, "उस दिन आपसे मिलने के बाद उसी शाम को मैं ५००० dollar के साथ अपने भाई से मिलने गया। मुझे देख के पहले तो वह गुस्सा हुआ, मगर जब मैंने पैसे देके उससे माफ़ी मांगी तो वह पिघल गया। उसने मुझे अपने घर के अंदर बुलाया और दस साल के बाद हम दोनों भाई ने साथ में बैठ के coffee पी। हमने घंटो तक बात की, अपने बचपन से लेके आज तक की बात की। फिर मैंने उसको अपने घर पे डिनर पे बुलाया। और वह मेरे घर पे ५००० डॉलर के साथ आया और उसने मुझे माफ़ी मांगी। उस दिन हम दोनों भाई गले लग के खूब रोए।"
ये कहते कहते मार्क की आखे छलक गई। उसने आगे कहा, " उसके बाद हम हर वीकएन्ड पे एक दूसरे के घर जाते है। और हमने Christmas का प्लान भी बनाया है।"
डॉक्टर ने बिच में मार्क को रोकते हुआ कहा की, " वो सब तोा ठीक है, पर तुम्हारे घुटनो के दर्द का क्या हुआ? "
तब मार्क ने कहा की,"डॉक्टर साहब अब तो मुझे याद भी नहीं है की मुझे कभी घुटनो का दर्द भी था। अब मैं बिलकुल ठीक हु।"
हमारे आयुर्वेद में लिखा है की हमारे शरीर में रोग का कारन पित्त, कफ और वात है। जब ये तीनो में से कोई एक बढ़ता है तब हमें बीमारी होती है। और इसके बढ़ने का कारन हमारे मानसिक स्थिति है। हमारे विचार है। और ये बात अब science ने भी मानी है।
जब ये आर्टिकल मैंने पढ़ा तो मैंने प्रेक्टिकली सोचा तो मैंने ये पाया की जब हमें गुस्सा या नफरत या ऐसे कोई नेगेविटी होती है तब जब हम उनके विषय में सोचते है तो हमारे पूरी body खींची हुए होती है। हमारा mind भी हमारे वश नहीं होता। और इसका नतीजा ये होता है के हमारे यादशक्ति क्षीण हो जाती है। और हम धीरे धीरे डिप्रेशन में आते है जिसका हमें पता तक नहीं चलता। हमारे unconscious mind में कंटिन्यू उसी के विचार आता है। और हमेशा गुस्से में ही रहते है। और हमारी सारी एनर्जी हमारे इसी बेबजह के गुस्से में चली जाती है, और हमारे शरीर में सारे प्रॉब्लम शुरू हो जाते है।
हमने अक्सर ये सुना है की किसी ऐसे इंसान को कैंसर होता है जिसको गुटखा तो छोड़ो पर चाय का भी व्यसन ना हो। ऐसा क्यों ? अगर उससे पूछे तो उसके दिल में किसी न किसी केलिए कड़वाहट होती होगी। जो कैंसर के रूप में बहार आया। और कई लोग ऐसे भी हमने देखे है जो २४ घंटे व्यसन में ही है फिर भी उनको इसा कोई बड़ी बीमारी नहीं होती। क्योकि उनका दिल साफ होता है।
अब सवाल ये उठेगा की अगर कोई हमारे साथ कुछ गलत करे तो हम उसको माफ़ क्यों करे? तो इसका जवाब है की आप को इसलिए माफ़ करना है क्योकि आपको एक healthy life और happy life चाहिए। हम उसका माफ़ ना कर के अपना ही नुकसान करवा रहे है। उसने हमारा नुकसान एक बार किया था। पर हम उसको माफ़ न करे के हर रोज़ और सारा दिन अपना नुकसान करवा रहे है। और आश्चर्य की बात ये है की हमें पता ही नहीं है। ऐसे लोगो के प्रति द्वेष भाव रख कर हम अपना शारीरिक, मानसिक और आर्थिक नुकसान ही करवा रहे है। उसका कुछ नहीं जाता।
और इसीलिए हमने अक्सर देखा है की जो दुसरो पे अत्याचार करते है वो ज्यादा सुखी दिखते है, और जिस पे अत्याचार होता है वे हमें दुखी दीखते है। क्योकि जिस पे अत्याचार होता है वो बार बार उसके विषय में भला बुरा सोच सोच के अपना नुकसान करवाता रहता है। उसका जीवन इससे आगे बढ़ ही नहीं पता है। और फिर हम भगवन को दोष देते है। हम कलियुग को दोष देते है। किन्तु दोष हमारा अपना है।
दोस्तों, गीता में भी कहा है के, 'तुजे केवल कर्म करना है, फल कैसे देना है वो तू मुज पर छोड़ दे।
इसी तरह उसका कर्म का फल भगवन देगा हम क्यों उसके फल के विषय में सोच कर अपना कर्म ख़राब कर रहे है?
इसलिए आजसे मैंने ये निश्चय किया है की चाहे कुछ हो जाये मैं अपने जीवन में नेगटिवि को नहीं आने दूंगी। और इतना निश्चय करने के बाद ही मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है।
आप भी ये निश्चय करे और उसके रिजल्ट मेरे साथ कॉमेंट कर के ज़रूर शेयर करे।
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