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bhagwan par vishwas kare /power of prayer in hindi


Power of prayer/bhagwan par vishwas kaise kare

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दोस्तों, आज का मेरा ये topic पर कई लोगो की राय अलग अलग हो सकती है। पर मेरे जीवन के जो अनुभव रहे है या जो मैंने देखा है,उसको लेके में ये blog लिख रही हूँ। आप अपनी राय या अनुभव मुझे कमेंट बॉक्स में ज़रूर लिखे। 

क्या आपने कभी ये अनुभव किया है की आप किसी problem में  ऐसे फसे हो की आपको समज में ही न आये की अब आप क्या करोगे? कुछ भी रास्ता न मिले और यकायक कुछ ऐसा हो जाये की कुछ लोग या कुछ ऐसी मदद मिल जाये जिसकी आपने कल्पना तक न की हो?

 जी हाँ दोस्तों, ऐसा अनुभव हम सब ने हमारे जीवन में किया है,   इसीको भगवान की शक्ति या power of prayer/prarthana ki shaktiकहते है। इसका अनुभव तो हम सब करते है लेकिन मानने से हिचकिचाते है। हम चाहे माने या न माने मगर इस दुनिया का संचालन  कोई दैवी शक्ति तो कर ही रही है। 

इसका दृढ अमुभव मुझे तब हुआ जब मने ये सच्ची स्टोरी (true story) पढ़ी। ये कहानी मैंने बहुत पहले पढ़ी थी। लेकिन आज भी मुझे जस की तस याद है। 

bhagwan par vishwas ki sachi kahani

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ये कहानी एक मेज़र के जीवन की है ,उन्होंने खुद उसको अपनी byopic में लिखी है। मैं उन्ही की जुबानी ये कहानी लिख रही हु। 

ये उन दिनों की बात है जब मेरी पोस्टिंग सियाचिन में हुए थी। (जैसे की हम सब जानते है की सियाचिन में बहुत ही ज्यादा  ठंड़ होती है winter में वह का तापमान  -50 digri तक जाता है ) मैं सियाचिन में अपनी टीम के साथ हमारी posting place यानि पर्वत की सर्वोच्च चोटी तक जा रहा था। 

हमारी posting पहाड़ पर थी इसलिए हमें वहा पैदल  ही जाना था। वैसे तो हमें दुर्गम रास्ते और पहाड़ी पर जाने की और लड़ने की सख्त training दी  जाती है, इसलिए हमें कोई परेशानी नहीं हो रही थी। मगर क्योकि दुर्गम रास्ता और उसमे -50 digri थी इसलिए  हम सब काफ़ी थके हुए थे। 

हम सब की एक ही मांग थी की की कही से हमें एक कप चाय (cup of tea) मिल जाये। क्योकि पहाड़ी रास्ता था और वो भी  border area इसलिए चाय मिलना मुश्किल था। मैं और मेरे जवान अब पूरी तरहसे थक गए  थे, क्योकि हम लगातार १२ घंटे तक ऊपरी चढाव चढ़ रहे थे, इसलिए सब पूरी तरह से थक गए थे। मगर हम रुक भी नहीं सकते थे क्योकि सूर्यास्त से पहले हमें अपने गंतव्य स्थान तक जाना था। 

अचानक ही हमारे अंदर एक आशा की किरण जगी जब हमारे एक जवान ने कहा की ' देखो वहा पर चाय की टपरी जैसा  कुछ है'. ये सुनते ही हम सब में एक जोश आ गया और हम दुगनी तेजी से उस दुकान तक पहुंचे। मगर अफ़सोस आज हमारी किस्मत ही ख़राब थी वो चाय की टपरी तो थी मगर बंध थी। 

हम सब निराश हो चुके थे। जब हमारे उम्मीद टूटती है तो हमारा सारा जोश और उत्साह मंद  हो  जाता है। हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। क्योकि मैं उन सब का captain था इसलिए मेरा ये कर्तव्य  की मैं अपनी टीम को निरुत्साह न होने दू, इसलिए मैंने आदेश दिया की अब आगे की कुच करो। 

'क्या हम ये ताला तोड़कर चाय बनाकर नहीं पी सकते?' अचानक  ही एक जवान ने मुझे कहा। मैंने गुस्से से उसकी  देखा क्योकि ये हमारे ethic के विरुद्ध था। मगर जब मैंने देखा  मेरे जवान वाकई में बहुत ही ज्यादा थके हुए है और उनको अगर  एक कप चाय मिल जाये तो आगे का रास्ता हम आसानी से सर कर सकते है, क्योकि  अँधेरा होने में ज्यादा वक्त नहीं था। इसलिए मैंने ऐसा करने को कहा। 

हमारे जवान ने ताला तोडा और देखा तो अंदर चाय का सारा सामान था। हम सब ने दो - दो कप  चाय पी। मगर अब भी मुझे ये गलत लग रहा था, मेरे आत्मा भरे हो रही थी क्योकि हम सैनिक थे  लुटेरे नही, और ये हमारे सिद्धांत के विरुद्ध भी था। इसलिए मैंने जाते वक्त चीनी के बक्से में कुछ हजार रुपये डाल दिए, ताकि हमने जो चीज़े use उसे की थी उसका भी payment हो जाये और मेरे दल में भी एक अच्छा message जाये। 

अब मेरे आत्मा पर से बोज उतर गया। चाय पिने से हमारी थकान भी उतर गई और हम बहुत ही जल्दी अपने ठिकाने तक भी पहोच गए। 

कुछ महीनो के बाद जब हमारा टाइम ख़तम हुआ और जब हम दूसरी जगह पोस्टिंग के लिए जा रहे थे तब फिर से वही चाय की टपरी मिली मगर इसबार  वह खुली हुई थी। उसको एक बूढ़ा आदमी चला रहा था। हम सब फिर वहा चाय के लिए रुके।

  हम सब चाय पी रहे थे तभी मैंने बातचीत शुरू करते हुऐ उस बाबा से पूछा की, "बाबा यहाँ तो आपका ज्यादा नहीं चलता होगा क्योकि एक तो दुर्गम पहाड़ी ऊपर से बॉर्डर एरिया, आप का निर्वाह कैसे होता है। बाबा ने कहा की, " नहीं साब भगवान की दया है।"

उस वक्त मैं भगवान में नहीं मानता था।  इसलिए मैंने मुस्कुरा कर कहा की, " बाबा भगवान बगवान कुछ नहीं होते। " ये सुनते ही बाबा की आँखो में एक अजीब ही चमक आ गई। उन्हों ने मेरी और मुड़ते  हुए कहा की, "ऐसा मत कहो साहब भगवान होते है। कुछ महीनो पहले की ही बात है साब जब मेरा लड़का बहुत ही बीमार था। डॉक्टर ने उसके इलाज के लिए कुछ पैसे मांगे थे, मगर हमारी हालत इसी नहीं थी के मैं उतने पैसे ला सकू। एक दिन मैं अपनी दुकान बंध कर के पैसो का जुगाड़ करने के लिए निकला, मगर हम गरीब का कोई नहीं होता साब। सारे सगे सम्बन्धी केवल अमीरो के ही होते है। मुझे किसीने पैसा नहीं दिया। अब मेरा केवल भगवन ही सहारा था, मैंने उसको दिल से प्राथना की उसके सामने भीख मांगी। दूसरे दिन मेरे लड़के की हालत और भी गंभीर हो गई डॉक्टर ने मुझे कही से भी पैसो  का इंतजाम करने को कहा। मै  दोड़ा - दोड़ा दुकान में आया की शायद कही कुछ रुपये पड़े हो। मैंने आके देखा की मेरी दुकान का ताला टूटा हुआ था, मैं सर पटक के बैठ गया। मुझे लगा की जितना भी थोड़ा बहुत था वो भी चला गया। 

कुछ देर बाद मैं हिंमत कर के अंदर गया तो देखा की चीज़े इधर उधर हुई थी मगर गायब कुछ भी नहीं था। मेरी जान में जान आये। मैं पेेसे ढूंढ रहा था उतने में मैंने चीनी का बक्सा खोला तो उसमे कुछ हज़ार रुपये थे। साब भगवान मेरी दुकान में आके चाय पी कर पैसे रखकर चले गए थे। उस पैसे से मैंने अपने बेटे का इलाज किया और आज मेरा बेटा बिलकुल सही है। भगावन होते है साब। "

उस बाबा ने अपनी कहानी पूरी की और हमने देखा की उनकी आखो में आसु थे। हम सब के दिल भी भर आये थे। उस दिन मेरे जवानो ने मेरी आखो में भी एक नमी देखि। मगर मैंने अपने आपको संभाला। एक जवान बाबा को कुछ कहने जा रहा था। मगर मैंने उसको रोका और हम चाय पी कर चले गए। उस दिन से मैं भी भगवन की शक्ति को मानने लगा। 

दोस्तों, ये है भगवान पर विश्वास और प्राथना की ताकत। अगर हमारा मन सच्चा और पवित्र है तो भगवान हर मुसीबत में हमारा साथ देते है। वे खुद नहीं आते मगर वो किसी न किसी को भेजते जरूर है। हर धर्म में प्राथना और भगवान पर विश्वास पर जोर दिया है। 

 मगर यहाँ एक बात समझनी भी है की भगवान उसी की सहाय करते हैं जिसे उस शक्ति में विश्वास हो और जो महेनति हो। जो महेनत नहीं करते उसको भगवान कभी सहाय नहीं करते।  इसलिए महेनत करने में कभी कंजूसी  करो और भगवान पे विश्वास करो। बड़ी से बड़ी मुस्किलो में से हम इतनी आसानी से निकल जायेंगे की हमें पता तक नहीं चलेगा। 

 

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