अपने डर पर विजय पाओ।
"डर के आगे जित है।" दोस्तो, ये वाकय हम रोज दसियो बार सुनते है, देखते है। जी, हाँ दोस्तों ये mountain due की ऐड. का है। अभी आप सोचते होंगे की मैंने ये sentence को क्यों चुना? जवाब है की इसी एक sentence में success का पूरा formula है।
दोस्तों, एक आम इंसान और एक success इंसान में फर्क क्या होता है? talent, hard work, big dreamer, focus ये सारे गुण तो है ही, मगर एक और गुण है जिसके बगैर कोई भी जी हाँ, कोई भी सफल नहीं हो सकता और वो है, उन्होंने अपनी डर पर जित पाना।
दोस्तों, मेरा मानना है की हम सब के जीवन में एक ऐसा समय हमेंशा आता है जब हामरा सामना हमारे डर से जरूर होता है। इस समय अगर हम ने अपने डर का डट कर सामना कर विजय पायी तो हमारी पूरी लाइफ चेंज हो सकती है
हर इंसान का अपना एक डर होता है। जिस ने वो डर पार कर लिया सफलता उसके कदम चूमती है। मगर वो हर कोई नहीं पार कर सकता और इसीलिए हर कोई सफल नहीं हो सकता।
क्या कभी ये सोचा है की यदि महेंद्र सिंह धोनी ने ये सोच कर अपनी सरकारी नौकरी नहीं छोड़ी होती के यदि में successful cricketer नहीं बन पाया तो? क्या उसकी उस सरकारी नौकरी में वो इज़्ज़त और शोहरत होती जो आज है? यदि धीरूभाई अम्बानी ने ये सोच कर अपनी पेट्रोल पंप पर जॉब नहीं छोड़ी होती की अगर मैं सफल न रहा तो मेरा परिवार क्या खायेगा? तो क्या आज रिलायंस होता?
हमें ये नहीं भूलना चाहिए की यदि महेंद्रसिंह धोने एक सफल cricketer ना बन पाते तो आज वो शायद बेरोजगार होते या तो सामन्य सी कोई job होती जिससे की उनका गुजरा भी ना हो पाता। इसी तरह धीरूभाई अम्बानी यदि सफल न होते तो शायद आज उनके परिवार को दो रोटी भी मुश्किल से मिलती।
ये बात वो दोनों जानते थे की वो जो risk ले रहे है उससे वे उनकी ज़िंदगी में सफ़ल भी हो सकते थे और निष्फल भी। उन दोनों को भी निष्फलता का डर सता रहा होगा। पर वो आज इतने सफल इसलिए है क्योकि उन्होंने उस डर पर विजय हासिल की थी।
अमिताभ बच्चनजी को हमने अक़्सर kbc में ये कहते हुआ सुना है की, बाबूजी ये कहा करते थे की,
यदि हमारा चाहा जीवन में हो तो अच्छा, और यदि न हो तो और भी अच्छा क्योकि वो भगवान का चाहा होता है।
इसीलिए अमिताभ बच्चनजी अपने जीवन में आयी हर कठिन परिस्थिति मे बिना डरे आगे बढे। हर मिश्किलो का डट कर सामना किया, और विजयी बने।
खोने से मत डरो।
दोस्तों, हमें ये नहीं भूलना चाहिए की इस संसार का नियम है कुछ खोकर ही हम कुछ पा सकते हैं। हम हमेशा कुछ भी खोने से डरते है। हम कुछ भी खोना नहीं चाहते। हम हमेशा यही चाहते है की हम केवल हासिल करे बिना कुछ खोये। हमें लगता है की कुछ भी 'खोना' हमेशां गलत ही होता है। ये हमारी सोच गलत है।
कई बार भगवान हमसे कुछ इसलिए छिन लेता है क्योकि वो हमें कुछ अच्छा देना चाहता है। अब जिसने इसको positive way में लिया वो सफल होता है। और जिस ने उसको negative way में लिया वो निष्फल रह जाते है।
यदि colonel sanders की जॉब छूट नहीं जाती, तो हमें KFC कैसे मिलती? यदि STIVE JOBS से अपनी एप्पल की जॉब नहीं छूटती तो आज की लेटेस्ट apple technology हमें कैसे मिलती? यदि अमिताभ बच्चन को रेडिओ में जॉब मिल जाती तो आज के सदी के महनायक को शायद ही कोई जानता। ऐसे अनगिनत नाम है जिन्होंने पहले कुछ खोया हो और बाद में उनको बहुत कुछ मिला था।
उनमे और हम में बस इतना ही फर्क है की उनके कुछ छूटने से वो बिन डरे, बिना मायूस या frustrated होये आगे बढे, और भी ज्यादा महेनत की। अपनी कमियों पर काम किया। अपने आप पर विश्वास रखा।इसीलिए आज वो सफलता के शिखर पर है।
जब तक गिलास खाली नहीं होगा तब तक हम दूसरा पानी भरेंगे कैसे? वैसे ही जब तक हमारे जीवन में से कुछ जायेगा नहीं, तब तक और कुछ आएगा कैसे? इसलिए जब हमसे जीवन में कुछ छूटे तब मायूस होने की बजाय ये सोचना चहिये की ये छूटा है तो कुछ मिलेगा भी, और आगे प्रयास करते रहना चाहिए।
डर से मत भागो।
हम सब डर से बहुत ही दूर भागते है। हम गलती से भी ऐसा कोई काम नहीं करना चाहते जिसका हम को डर लगता हो, बस यहॉ पर हम सब भूल कर बैठते है। अपने डर से भागने की बजाय हमें अपने डर का सामना करना पड़ेगा। क्योकि कई बार हमारा डर केवल एक वहम होता है। जो हमें लगता है की 'ऐसा' करने से 'ऐसा' होगा वैसा होता ही नहीं।
हमें हमेशा डर का डट कर सामना करना चाहिए। क्योकि डर का सामना कर के ही डर को भगाया जा सकता हैं, इसलिए डर पर विजय पाने का एक ही रास्ता है अपने डर का सामना करो। अपने डर को डर के रूप में नहीं बल्कि एक challenge के रूप में हमें लेना चाहिए। तभी हम अपने डर से मुक्त हो सकते है। एक सफल जीवन के लिए अपने डर से मुक्त होना बहुत ही जरुरी है।
nice👍
जवाब देंहटाएंReally quality blog. It’s so true.
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