what we can learn from coronavirus
things we have learned from covid-19 |
दोस्तों, २०२० ख़तम हो चुका और नया साल 2021 आ गया है। आप सब को सबसे पहले HAPPY NEW YEAR। हम सब ये आशा करते है की हमारा नया साल सच में हैप्पी हो। 2020 से अलग हो।
दोस्तों, लगभग हम सभी लोग २०२० से खुश नहीं है। हम सभी ये मानते है की 2020 एक साल हमारा वेस्ट गया। कई ऐसे कटाक्ष जोक्स प्रचलित भी हुए की भगवान को इस एक साल को delete करना चाहिए। इसमें वायरस आ गया है, वगैरा।
कई लोग का हाल सच में बहुत ही बुरा है इस कोरोना काल में। कई लोग की जॉब छूट गई। जिन्हो ने अपना जस्ट business start किया था, उनको बंध करने की नौबत आयी। उनका न केवल पैसा मगर अपने सारे सपने टूट गए।
कई लोगो का सालो से बना बनाय business को बंध कर ने तक की नौबत आयी। मजदूर और गरीब लोगो की हालत तो और भी दयनीय हो गई। उनको तो खाने तक के लाले पड़ गए। कई लोग रातो रात road परआ गए।
ये हालत एक city, एक राज्य या एक देश की नहीं थी। सारी दूनिया की यही हालत थी। दुनिया मानो थम सी गई। क्या हुआ किसी को अब तक समज नहीं आता।
किसी ने नहीं सोचा था की एक ऐसा virus आएगा जिस से एक साथ पूरी दुनिया को प्रभावित करेगा। अमेरिका, फ़्रांस, UK जैसी महा सत्ता को घुटनों के बल ले कर आएगा।
यह साल सब के लिए ख़राब ही गया। ये एक द्रष्टिकोण हैं, यदि हम दूसरे द्रष्टिकोण से देखेंगे तो इस साल ने हम को बहुत अनमोल चीज़े दी है। बहुत सी ऐसी चीज़े जो हम सालो से या पीढ़ियों से नहीं सिख पाए ये एक साल ने हमें सिखाया है।
जी हां दोस्तों, मेरी इस बात से यदि आप सहमत नहीं है तो उसे पढ़िए, मैं दावे के साथ ये कहती हु की, इसे पढ़ने के बाद आप मेरे इस बात से जरूर सहमत हो जायेंगे।
क्या सीख देता है कोरोना?
दोस्तों, कुदरत का एक नियम है की, हर अच्छी बुरी चीज़ जुडी हुई होती है, इसी तरह हर एक बुरी चीज़ के साथ एक अच्छी चीज़ जुडी है।
दोस्तों, कोरोना काल ने हमें लाख बुराई दिखती है। वो हमें बहुत कुछ सीखा कर गया है। ये बात हम जुठला नहीं सकते।
1. सेविंग का महत्व
दोस्तों, जैसे की हम जानते है इंडिया के सीवा और किसि भी देश में सेविग नहीं होती थी। यूरोप देशो में तो Monday to Friday earn and Saturday to Sunday spend. ये ही उनका culture है। पूरा हफ्ता वो इस लिए कमाते है ताकि Saturday और Sunday को वो 'एन्जॉय' कर सके।
भारत में ये नहीं था। हमें बचपन से ही saving करनी सिखाई जाती थी। हमारे दादा, पर-दादा सब saving करते थे हमारे लिए। पर कुछ वर्षो से हमारी मानसिकता में भी बदलाव आना चालू हो गया था।
भारत में भी वही western culture दिख रहा था। 'कल किसने देखा है आज जी लो' की मानसिकता हमारे यहाँ भी घर कर गई थी। एक दूसरे की देखा देखि में जिनके पास कुछ न हो वो भी लोन ले कर या 'कुछ भी कर' के 'एन्जॉय' कर रहे थे।
हमें न ही अपने भविष्य की चिंता थी और न ही अपने बच्चो के भविष्य की। हम अपने में ही मशगूल थे। तभी साल 2020 आया। हम सब ने बहुत सपने संजोये रखे थे। पर साल शुरू होती ही कोरोना के पंजे ने पुरे विश्व को जकड़ लिया।
सब को यही लगा की कुछ ही दिनों में ये स्थिति normal हो जाएगी। दिन महीने बने और महीने साल। पर अभी भी वो ही स्थिति बनी हुई है। सब से दयनीय स्थिति उनकी है जिन्होंने 'एन्जॉय' के नाम पर कुछ भी सेविंग नहीं की थी। उनसे भी ज्यादा वो ख़राब परिस्थिति में वो लोग है जिन्होंने देखादेखी में लोन ले कर या instalment पर चीज़े खरीदी हुई थी।
आज लगभग हर एक व्यक्ति मान रहा है की हमें सेविंग करनी चाहिए। न केवल इंडिया में मगर western countries में भी जहा saving की system ही नहीं थी, वहा पर भी आज लोग saving करने लगे है।
इतनी बड़ी सिख जो हम भूल गए थे, या जिसको out date समझते थे। और तो और जहा पर ये सिख ही नहीं थी (western countries) वहा पर भी केवल इस एक साल में ही लोग saving का महत्व समज चुके है। वो मान गए है की आज की बचत ही कल का सहारा है।
क्या बिना कोरोना के ये संभव था?
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2 चीज़ो का महत्व
दोस्तों, एक ज़माना होता था जब लोग छोटी से छोटी चीज़ इस्तमाल करने के बाद उसको संजोकर रख दिया करते थे। ये सोच कर की आगे को काम आएगी। और वही चीज़ आगे भी उनके बच्चे भी use कर के रखदिया करते थे। हमारे यहाँ चीज़ो को फेकने का concept ही नहीं था।
धीमे धीमे समय बदला और लोग अपने parents की चीज़ो की जगह अपने लिए नयी चीज़े लाना शुरू की और उसको ही जीवन परियन्त use करते थे।
आज तो use and throw का जमाना आ गया है। हमें हर समय नयी चीज़े ही चाहिए। कल की लायी चीज़ भी हम आज उपयोग करने में शरमाते है। आज तो चपल से ले कर सुई तक की चीज़े use and throw मिलने लगी है।
दूसरा हमें हर किसी को बाजार में मिलने वाली हर एक चीज़ चाहिए। चाहे वो हमारी काम की हो या न हो। और तो और हमें ये लगता था की हम उन चीज़ो के बिना नहीं रह सकते।
कोरोना काल में हम सब को ये पता चल गया है की, हम सब उन चीज़ो के बिना रह सकते है, जो हमें लगता था की वो हमारे जीवन में बहोत ही महत्व पूर्ण है। हमें जीने के लिए बहूत ही काम की चीज़े ही। उसके बीना हम रह ही नहीं सकते।
आज वो सारी चीज़ो के बिना भी हम बहुत अच्छे से और खुशी से अपना जीवन काट सकते है।
क्या ये मैसेज बिना कोरोना के हमें मिल सकता था?
3. प्रकृति का महत्व
जहा पर इंसान को एक गांव से दूसरे गांव जाने पर दिनों लग जाते थे। आज कुछ ही घंटो में सात समंदर पार कर लेते है। जहा चाँद तारे केवल हमारी कल्पना में थे। आज हम न केवल उनको देख सकते है पर उसको छू भी सकते है।
हम सब जानते है की वृक्ष ही है जो हमें वर्षा देता है। हमारी जमीन को उपजाोऊ बनता है। उसको हम ऐसे काट रहे है जैसे वो हमारा दुश्मन हो।
केवल वृक्ष या जंगल ही नहीं हमने हर एक प्राकृतिक सम्पति चाहे वो oil हो, गैस हो सबका हमने miss use किया है। हमने प्रकृति से केवल लिया ही है दिया कुछ भी नहीं। या ये कहा जाये की use से ज्यादा बरबाद किया है तब भी गलत नहीं होगा।
(प्रकृति की बर्बादी पर एक विशषे ब्लॉग आगे लिखूंगी क्योकि वो यहाँ बहुत ही लम्बा हो जायेगा। )
इसका नतीजा ये हुआ की प्रकृति का संतुलन अस्त व्यस्त हो गया। गर्मी में ठण्डी और ठण्ड में बारिश आने लगी। बाढ़, सूखा, earthquake जैसी समस्या हर एक दिन कही न कही हमने सुनी या देखि थी।
पर हम प्रकृति के इस सन्देश को भी नज़र अंदाज़ करते गए। इसका नतीजा हमने year 2020 में देखा corona के स्वरुप में। पहले प्राकृतिक आपदा किसी एक शहर, एक राज्य या एक देश में होती थी। पर कोरोना ने तो पुरे विश्व को ही अपने सिकंजे लिया।
सब कहते है की ये अचानक क्यों हुआ? ये अचानक नहीं हुआ है। प्रकृति ने तो हमें कई बार संकेत दिए थे पर हम ही समज नहीं पाए।
ये बात कही न कही हम समज भी चुके है। हम सब पहले के मुकाबले ज्यादा प्रकृति के बारे में न केवल सोचने लगे है, उसकी देख-भाल करनी भी चालू कर दी है हमने।
दोस्तों, हर साल earth saving day मनाकर। करोडो रूपया खर्च कर के जो हम नहीं सिख पाए, वो हमने कोरोना ने केवल एक साल में सीखा दिया। क्या ये बिना कोरोना के संभव था।
ऐसी अनेको चीज़े है जो होने corona kal में सीखा। तो 2020 और कोरोना काल को goodbye कहने से पहले हमें उनको thanks कहना तो बनता है।
हम उम्मीद करते है की हमारा आने वाला न केवल एक साल हमारे लिए अच्छा हो। हर साल अच्छा जाये। इसके लिए हमें साथ में मिलकर काम करना होगा।
once again happy new year. आइये हम इस नए साल में एक सपथ ले की, हमने जो कोरोना से सिखा है उसको रखे। हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए हम प्रकृति को बचा कर रखे।
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