सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

kya bacho ko mobile dena chahiye?

  क्या बच्चो के लिए खतरनाक है मोबाइल?

side effects of mobile phone on child in hindi,बच्चो को मोबाइल कोनसी उम्र में देना चाहिए? / WHEN THE RIGHT TIME TO GIVE PHONE TO YOUR KIDS in hindi,mobile radiation se hone wale nuksan,mobile phone se hone wale nuksan, bacchon ke liye phone, bacchon ka mobile,kya bacho ko mobile dena chahiye?, mobile phone se nuksan,बच्चो को मोबाइल कोनसी उम्र में देना चाहिए? / WHEN THE RIGHT TIME TO GIVE PHONE TO YOUR KIDS in hindi


दोस्तों, क्या बच्चो को मोबाइल देना चाहिए? ये सवाल आज के युग का एक बहोत ही बड़ा सवाल है। हर माँ बाप को ये सवाल सताता है की क्या हमें अपने बच्चो को मोबाइल देना चाहिए या नहीं ? इस पर एक लम्बी चौड़ी कभी न ख़तम होने वाली बहेस होती है और होती रहेगी। लेकिन यहाँ कुछ point पर ध्यान देना भी बहुत ही जरुरी है। 

सबसे बड़ा सवाल ये है की बच्चो को मोबाइल की क्या जरुरत है? मोबाइल का उपयोग हम आमतौर पर किसी से बाते करने में, अपने ऑफिस वर्क के लिए या लोकशन सर्च के लिए होता है। ये सारे ज़रूरी काम है जो बिना मोबाइल के नहीं हो सकता राइट? तो अब सवाल ये उठता है की बच्चो को मोबाइल क्यों जरुरी है?

बच्चो को नहीं किसी से जरुरी बात करनी होती है, और न ही ऐसा कोई काम जो बिना मोबाइल के पूरा न होता हो। बाहर वो हमारे साथ जाता है। पूरा दिन वो स्कूल या collage में अपने friends के साथ  होता है, और यदि  कुछ काम हो तो वो हमारा फ़ोन use कर सकता है। मुझे नहीं लगता की ऐसा कोई एक कारन हो,  जिसकी बजह से हमें अपने बच्चो को उनका खुद का मोबाइल खरीदकर देना पड़े।  

दोस्तों, हम अपने बच्चो को मोबाइल क्यों देते है? हर parents को ये सवाल अपने आप से पूछना चाहिए। सच ये है की most of parents अपने बच्चो को मोबाइल देखादेखी और अपना (जूठा) status दिखाने के लिए देते है।  पर क्या हम देखते हैं की वो मोबाइल में कर क्या रहे है?

दोस्तों, मैंने कई ऐसे parents को देखा है की वो परवाह ही नहीं करते की उनके बच्चे मोबाइल में कर क्या रहे है? वो कोन सी साइट देखते है, उनके कौन फ्रेंड्स है, कौन सी गेम खेलते है? उनको कुछ भी नहीं पता बस वो ये देख कर खुश होते है की उनका बच्चा मोबाइल चलाता है। लोग उसे देखे और हमारे जूठे अहम् को ख़ुशी मिले। 

मगर हम अपने जूठे अहम् और देखावे के चक्कर में अपने बच्चो के भविष्य के साथ खेल रहे है ये हमें पता तक नहीं होता। और जब हमें पता चलता है तब तक बहोत ही देर हो चुकी होती है। वो शायद इसलिए होता है की हमें पता ही नहीं है की  मोबाइल  बच्चों को क्या नुकसान होते है। 

मोबाइल से बच्चो पर पड़ता दुष्प्रभाव / bacchon ko mobile se nuksan

बच्चो को मोबाइल कोनसी उम्र में देना चाहिए? / WHEN THE RIGHT TIME TO GIVE PHONE TO YOUR KIDS in hindi,mobile radiation se hone wale nuksan,mobile phone se hone wale nuksan, bacchon ke liye phone, bacchon ka mobile,kya bacho ko mobile dena chahiye?, mobile phone se nuksan,बच्चो को मोबाइल कोनसी उम्र में देना चाहिए? / WHEN THE RIGHT TIME TO GIVE PHONE TO YOUR KIDS in hindi


दोस्तों,  बच्चो के लिए मोबाइल कितना हानिकारक है ये हम जानते ही नहीं। कम उम्र में बच्चो  को मोबाइल देने से उनमे आखो कमज़ोर होना, सिरदर्द, कैंसर का ख़तरा, डिप्रेशन, अनिद्रा, व्यवहार में बदलाव, मानसिक विकास की कमी, तंत्रिका विकार, मोबाइल  या गेम की  लत  जैसी कई बीमारिया  होती है ये मेड़िकल सायन्स ने प्रूव  किया है।  

 आज कल एक शिकायत हर माँ बाप करते है की, उनके बच्चो को कुछ भी खिलाओ पिलाओ वो कमजोर  है या बार बार बीमार रहता है। अगर आप ऐसे शीकायत करने वाले माँ बाप के बच्चो को ऑब्ज़र्व करेंगे तो  पाएंगे की, उनके बच्चे जब भी खाना खाते है तब वो  मोबाइल में गेम  खेलते है या वीडियो  देखते है। 

एक सर्वे के अनुसार जब  हम खाना खाने का आनंद ले या तो खाने को एन्जॉय कर के खाये तो वो खाना अमृत हैं। और उसी खाने को यदि हम बिना ENJOY कर के खाये तो वो ही खाना ज़हर है। यानि  हमारी health को नुकसान  करता है।  जब बच्चा मोबाइल में देख कर खाना खता है तो उसको पता ही नहीं  चलता के वो क्या खा रहा है। वो खाना उसको लगता ही नहीं। 

बच्चो के दिमाग पर मोबाइल दुष्प्रभाव बहुत ही घातक है। आज कल तो बच्चे बिना मोबाइल के खाना ही नहीं खाते।  स्कूल से आते ही हम मोबाइल थमा देते है  और खाना खिला देते है। हमें लगता  है  काम ख़तम, हमें  कोई लेना देना नहीं की उसका बच्चो पर क्या प्रभाव  हो रहा है। दोस्तों ये काम कोई गांव के गवार parents नहीं करते बल्कि शहर के पढ़े लिखे लोग कर रहे है। जो अपने आप को modern कहते और समझते है। 

हद  तो तब होती है की, जब हम जानते है इसके नुकसान को मगर  फिर भी हम मोबाइल देते है। क्यों? वहा पर हमारा  एक ही तर्क होता है की, 'क्या करे की बच्चे मानते ही नहीं है। हमें देना ही पड़ता है नहीं तो  पूरा  है,  खाना नहीं खाते वगैरा। राइट?

मेरा ऐसे parents से केवल एक ही सवाल है की, अगर बच्चा ज़हर खाने ज़िद करेगा तो क्या उसको ज़हर खाने देंगे? चाहे वो कितना ही रोये, ज़िद करे मगर हम उसको ज़हर नहीं  खाने देंगे क्योकि, बच्चे को नहीं पता है  की ये ज़हर है मगर हमें  तो पता है।  इसी तरहा बच्चो को मोबाइल फ़ोन से होने वाले नुकसान  नहीं पता है पर हमें तो पता है।    

हम लोग हर रोज़ न्यूज़ में या  प्लेटफार्म पर ऐसे कई किस्से सुनते है जहा पर मोबाइल की लत से या कोई गेम की लत से बच्चों ने ख़ुदकुशी की हो, या बच्चो का मानसिक संतुलन चला गया हो, या उसको हार्ट अटकें आया हो। मगर फिर भी हम उन सारी चीज़ो को अनदेखा  क्यों कर रहे है ये मेरी समज से बहार है। मोबाइल फ़ोन से होने   वाले नुकसान अनगिनत है। 

Social media se banaye naya samaj

इतना ही नहीं  छोटे छोटे बच्चे भी social platform का उपयोग कर रहे है। ऐसे में असमाजिक तत्वों के वे बहुत ही आसान शिकार बनते है। कोई भी उन्हें बहेला फुसला कर सारी information ले कर गलत  use कर सकते है। parents होने के नाते ये हमारा कर्तव्य है की हम अपने बच्चो को उन सारे नुकसान से बचाये। 

आज की  इस fast life style और NEWCLIER FAMILY में बच्चो पर २४ घंटे वॉच रखना मुश्किल है, खास तौर पर जब माता पिता दोनों ही काम कर रहे हो, मगर नामुमकिन बिलकुल ही नहीं। यदि हम अपने busy schedule में से कुछ समय अपने बच्चो के साथ बिताये शायद हमारा बच्चा बच सकता है। 

बच्चो को मोबाइल कोनसी उम्र में देना चाहिए? / WHEN THE RIGHT TIME TO GIVE PHONE TO YOUR KIDS?

बच्चो को मोबाइल कोनसी उम्र में देना चाहिए? / WHEN THE RIGHT TIME TO GIVE PHONE TO YOUR KIDS in hindi,mobile radiation se hone wale nuksan,mobile phone se hone wale nuksan, bacchon ke liye phone, bacchon ka mobile,kya bacho ko mobile dena chahiye?, mobile phone se nuksan,बच्चो को मोबाइल कोनसी उम्र में देना चाहिए? / WHEN THE RIGHT TIME TO GIVE PHONE TO YOUR KIDS in hindi


अब सवाल ये  उठता है की हमें अपने बच्चो को मोबाइल फ़ोन कब देना चाहिए? इसके लिए ये एक सच्ची घटना  है इसमें  हमें जवाब मिल जायेगा। 

STEVE JOBS ये नाम हम सब जानते है। APPLE PHONE के CO. FOUNDER और आज जो हम  चला रहे है उनके जनक यानि जिन्होंने  ipod, ipad, iphone जैसे स्मार्ट फ़ोन बनाये  उनके जीवन की ये सच्ची घटना है। 

एक दिन STIVE JOBS के घर पर उनके मित्र खाना खाने के लिए आये। बातो बातो  उनके मित्र ने STIVE JOBS से पूछा की, 'आपके बच्चे कौन सा मोबाइल USE करते है?' (APPLE PHONE जो दुनियाका सबसे महँगा फ़ोन  हैं उनके मालिक के बच्चे तो apple का latest phone ही उसे करते होंगे? ये ही हम सब के दिमाग में होगा राइट? )

steve jobs ने कहा की, 'आप उनसे ही पूछिए।' मित्र ने बच्चो की और देखा तो उनको एक un expected answer मिला की, 'हमारे पास कोई भी फ़ोन नहीं है।' मित्र ने  जब उनका कारन पूछा तो steve jobs का जवाब था की, ' इस राक्षश को मैंने बनाया है, मुझे उसके नुकसान पता है, मैं नहीं चाहूंगा की मेरे बच्चे उसे use करे।'

दोस्तों steve jobs ने अपने बच्चो को मोबाइल 14 years के बाद दिया था और वो भी कुछ खास शर्तो के साथ उनमे से एक ये थी  की दिन में वे केवल १ hour ही उसका उपयोग कर सकते है। और ऐसे parents में केवल steve jobs ही नहीं बल्कि Microsoft के मालिक बिल गेट्स और snap chat के सीईओ Evan Spiegel भी शामिल है। 

अब सवाल ये है की उन महान हस्तियों के बच्चे बिना मोबाइल के पढ़ और बढ़ सकते है तो हमारे क्यों नहीं?

हम अपने जूठे अहंकार और दिखावे में से बहार आ कर बच्चो को इस राक्षस रूपी मोबाइल से यदि बचा ले तो ही हम एक सच्चे parents कहलायेंगे। वही हमारा कर्तव्य है। 

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

Please do not enter any spam link in the comment box.

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Yeh Rishta Kya Kehlata Hai / रिश्ता किसे कहते हैं ?

  रिश्ता किसे कहते हैं ?/rishta kise kahate hain. rishte ehsas ke hote hain दोस्तों, आज कल 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' फेम दिव्या भटनागर बहुत चर्चा में है। उसकी मौत तो covid 19 के कारन हुई है।  लेकिन उसके परिवार और friends के द्वारा उसके पति पर उनकी मौत का इल्जाम लगाया जा रहा है। ( हम यहाँ किसी पर भी आरोप नहीं लगाते, ये एक जांच का विषय है। )  ऐसा ही कुछ सुंशांत सिंह राजपूत के मौत के वक्त भी हुआ था। उनके मृत्यु के बाद उनके परिवार और friends ने भी ऐसे ही किसी पर आरोप लगाया था। उनकी मौत का जिम्मेदार माना था।  इनकी स्टोरी सच है या क्या जूठ ये हम नहीं जानते, न ही हम उसके बारे में कोई discussion करेंगे।  मगर ये सुनने के बाद एक विचार मेरे मन में ये सवाल उठा की ये हो-हल्ला उनकी मौत के बाद ही क्यू ? उनसे पहले क्यों नहीं? अब ऐसा तो नहीं हो सकता की उनके रिश्तेदारों को इस चीज़ के बारे में बिलकुल पता ही न हो?  ये बात केवल दिव्या भटनागर या सुशांत सिंह राजपूत की ही नहीं है। ये दोनों की story तो इसलिए चर्चा में है, क्योकि ये दोनों काफ़ी successful हस्तिया थी।  मगर हमने अपने आसपास और समाज में भी ऐ

True success in life (जिस थाली में खाना उसी में छेद करना )

m   जिस थाली में खाना उसी में छेद करना  सं सद से ले के हर गली चौराहे पर ये मुहावरा बड़ा प्रचलित हो रहा है। जिसका कारण है हमारे लीजेंड जया बच्चनजी। (मैं यहाँ किसी का समर्थन या असमर्थन नहीं करती ) संसद में उनका बयांन सुनने और न्यूज़ चैनल में डिबेट सुनने के बाद मैं यही सोचती रही की, अगर इस प्रचलित मुहावरे लोकोक्तियों  का असली मतलब निकलना हो तो क्या निकाल सकते है?   इसका सिंपल सा अर्थ होता है की जिसके कारण आप success हुए है उसको बदनाम करना। मगर अब सोच ने की बात ये है की जीस संस्था या  इंडस्ट्रीज़  के द्वारा आप सफल हुए हो। जिसके कारन आपकी एक success images बानी हो। उसको कोई नुकसान पहुंचाए उस समय गलत को गलत कहे ना थालीमें छेद करना होगा या चुप चाप उस संस्था को या उस  इंडस्ट्रीज़  को बर्बाद होता देखना थाली में छेद करना होगा? क्योकि अगर देखा जाये तो दोनों को ही थाली में छेद करना ही कहेंगे।  तो क्या करे? उसको एक बहुत ही सिंपल way मैं अगर समजे तो मान लीजिये आपका एक भरा पूरा परिवार है। उसमे एक भाई दूसरे भाई का बुरा करता है, मगर जो भाई दूसरे का बुरा करता है ऊसके आपके साथ सम्बन्थ बहुत ही अच्छे है और ज

5 Tips Life me Khush Kaise Rahe In Hindi

   life me khush rehne ke tarike/ happy life tips in hindi दोस्तों, जब से ये दुनिया बनी है तब से आदमी की एक ही इच्छा रही है के वे अपने जीवन में हमेश खुश रहे। चाहे वो पाषाण युग हो या आजका 21st century हो। हमारा हर अविष्कार इसी सोच से जन्मा है। चमच्च से ले कर रॉकेट तक हमने इसीलिए बनाये है ताकि हम अपने जीवन में खुश रहे।  आज 21st century में तो हमारे जीवन को आसान और खुश रखने के लिए  gadgets की तो मानो बाढ़ सी आ गयी है। चाहे घर का काम हो या ऑफिस का चुटकि बजा कर हो जाता है। घर बैठे मिलो दूर अपने अपनों से न केवल बात कर सकते है मगर उसको देख भी सकते है।  आज internet ने अपना साम्राज्य इस कदर फैलाया है की, दुनिया के किसी भी कोने में क्या हो रहा है वो आप दुनिया के किसी भी कोने में बेठ कर देख सकते है। आज से पहले इतनी सुविधा कभी पहले नहीं थी। हर बात में आज का युग advance है।  शायद ही ऐसा कोई मोर्चा हो जहा पर हम ने तरक्की न करी हो। पर अब सवाल ये उठता है की इतनी तरक्की करने के बाद क्या हमने वो हासिल किया है जिसके लिए हमने इतनी तरक्की करी है? आज हमारे पास सबसे बढ़िया गाड़ी है, घर है, कपडे है, घडी है, जुते