Parenting tips for new parents.
दोस्तों, इस दुनिया में यदि सब से मुश्किल काम है तो वो है बच्चो की परवरिश करना। आज कल की दुनिया में ये और भी मुश्किल काम हो गया है। उसका एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारण है विभाजित family. जिसके कारण बच्चो को पालने की जिम्मेदारी केवल एक व्यक्ति (मदर) पे आती है। आज कल माता भी काम करने लगी है। इस माहौल में आज बच्चो की परवरिश एक सच में चिंता का विषय है।
एक बच्चा केवल एक परिवार का भविष्य नहीं होता, बल्कि वो पुरे समाज का, पुरे देश का भविष्य होता है। हमारा समाज जैसा बन रहा है, या जैसा है उसमे हमारी परवरिश का बहुत ही बड़ा हाथ है। आज जो बच्चा सीखेगा या जैसा बनेगा कल को वो ही इस समाज और देश को चलाएगा। इसलिए बच्चो की परवरिश पर हमें विशेष ध्यान देना पड़ेगा।
यहाँ पर मै कुछ positive parenting tips दूँगी जो इस माहौल में बच्चो की परवरिश में अच्छे से help कर सके। अगर हम इस टिप्स को ध्यान में रखते हुए काम करेंगे तो हम समाज और देश को एक अच्छा इंसान जरूर दे पाएंगे।
1. mother should stay at home.
मेरा ये point पढ़ते ही ज्यादातर लोग इसको women empower या women freedom साथ जोड़ेंगे। मैं ना ही महिलाओ के freedom के विरुद्ध हूँ न ही काम के विरुद्ध हूँ। मैं खुद एक महिला हूँ और मै मानती हूँ की हर महिला को फ्रीडम और आत्मसन्मान के साथ जीने का पूरा अधिकार है। जीना भी चाहिए। पर मै इस सोच से खिलाफ हूँ की जो बहार जा कर काम करते है वो ही एक सशक्त महिला है। बाकी की कमजोर।
घर और बच्चो को संभालना हर एक के बस की बात नहीं है। वो हर कोई नहीं कर सकता। २४/७ का काम है और वो भी फ्री में, बिना कोई उम्मीद बांधे। ये काम करने के लिए mentally and physically strong होना पड़ता है। इसलिए ये बात दिमाग से निकल दो की जो घर संभालता है वो कमजोर है।
जहा तक बच्चो की बात है तो बच्चो को सबसे ज्यादा प्यार और देखभाल की जरुरत है। ना की toys या और कोई महेंगी चीज़े। वो प्यार केवल अपने ही दे सकते है। हम सब ने एक बात जरूर महसूस की होंगी की हमें अपने बच्चो से ज्यादा प्यारा किसी और का बच्चा नहीं लगता। चाहे वो हमारे भाई-बहन का ही क्यों न हो। हम उनसे प्यार तो करते है पर अपने बच्चो से ज्यादा नहीं। ये एक हकीकत है।
अब जरा सोचिये की हमें हमारे बच्चो से ज्यादा हमारे अपने सगे भाई-बहन के बच्चे भी प्यारे नहीं लगते। तो क्या वो इंसान जो न हमें जनता है, न हमारे साथ कोई सम्बन्ध है, वो हमारे बच्चो को वो प्यार और वो परवरिश दे पायेगा? मैं यहाँ पे आया और बेबी सिटींग की बात कर रही हूँ।
अब यहाँ पे कुछ लोग ये भी कहेंगे की माता ही क्यों? पिता की भी ज़िम्मेदारी है वो भी तो घर पे रहकर बच्चो को संभाल सकता है। ये त्याग केवल माता ही क्यों करे?
हम चाहे माने या न माने पर एक माँ जितना अपने बच्चो को समझती है, उतना और कोई भी नहीं समज सकता। अरे पिता भी नहीं समज सकता तो दुसरो की तो बात ही क्या। यहाँ पे किसी को बड़ा या महान बताने की बात नहीं है। पर माँ से बच्चे का रिश्ता तब से जुड़ा होता है ,जब बच्चे का आकर भी नहीं बना होता। बच्चा सबसे पहले अपनी माता को ही पहचानता है। बच्चा एक माँ की सोच से बहुत ही ज्यादा प्रभावित होता है, क्योकि वो 9 महीने तक माँ के अंदर पला है। वो सब से पहले अपनी माँ को ही महसूस करता है। यही एक कारण है की माँ जितना बच्चे को समझती है उतना कोई और उसको समज ही नहीं पता।
दूसरा महिलाए में एक गुण होता है की वो कठोर भी है और कोमल भी। वो बच्चो को अनुशाषित बड़ी ही सरलता से कर सकती है। इसलिए ज्यादातर school में teacher महिलाये होती है। ये god gift है। जितने friendly बच्चे महिलाओं के साथ होते है उतने वे पुरुष के साथ नहीं होते।
दोस्तों, यदि हम कोई भी महान व्यक्ति को देखे महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, गांधीजी, अब्दुल कलाम या मोदीजी। हर एक के जीवन में अपनी माता का एक अलग ही प्रभाव है। यहाँ पे reach लोगो की नहीं महान लोगो की बात हो रही है। हर किसी ने अपने सफलता का श्रेय अपने माता की परवरिश को ही दिया है। ये सारी महिलाएँ एक गृहिणी थी। मैंने एक बात observe की है की लगभग सारे महान व्यक्तिओ की माता house wife थी। ऐसे महान व्यक्ति को कोई कमजोर इंसान तो घड़ नहीं सकता हैं ना ?
ये बात अब यूरोप की कंट्री में भी लोग मानने लगे है। एक research के मुताबिक जब बच्चा अपने पेरेंट्स के साथ रहता है तो उसका schooling behavior और scoring में काफी improvement हुई है। इसलिए अब वहा हाउस वाइफ का concept बढ़ा है।
इसलिए यदि हम अपने और अपने बच्चों का भविष्य को सुदृढ़ करना चाहते है तो माता को अपने बच्चों के साथ रहकर घर संभालना पड़ेगा। यदि बहार जा कर काम करना जरुरी हो तो, बच्चे को आया के हवाले करने की बजाय बच्चो को दादी या नानी के सानिध्य में रखे। क्योकि उनके पास जितना अनुभव और प्यार होगा वो किसी और के पास नहीं होगा।
2. माता और पिता दोनों की जिम्मेदारी है बच्चा ।
हमारे समाज ये मान्यता पता नहीं कहा से आ गयी है की घर और बच्चो को सँभालने की जिम्मेदारी केवल माता की है। ये बात सरासर गलत है। बच्चे को माता और पिता दोनों के प्यार और देखभाल की जरुरत है। यदि ऐसा नहीं होता तो बच्चे को जन्म देने के लिए दोनों की जरुरत नहीं होती।
कई घरो में पिता बच्चे को २ मिनट जुला तक नहीं जुलता। यदि बच्चा रोता हो तो पिता बैठ के देखेगा या उसकी माँ पर चिल्लायेगा पर खुद उठ कर देख भाल करने में उसको शर्म आती है। ये बात गांव या देहातियों की नहीं है। ऐसी बाते पढ़े लिखे शहरी लोगो में भी देखि जाती है।
जब बच्चा छोटा होता है तब पिता उसको प्यार से बुलाएगा तक नहीं, तो उस बच्चे के मन में अपने पिता के लिए प्यार कैसे आएगा? पहले जॉइंट फॅमिली होती थी तो दादी, काकी ये सब मिल कर बच्चो को संभालती थी। तब पिता कोई काम न करे तो चलता। पर आज कल जब माँ अकेली होती है तो पिता की भी ज़िम्मेदारी बच्चे के प्रति उतनी ही है जितनी की एक माँ की।
यदि महिला काम कर के आप को help कर सकती है तो आपको भी उसको हेल्प करना चाहिए। एक बार बच्चो को दूध पिला कर , उसके साथ खेल कर , उसके डायपर बदलकर तो देखे। जो ख़ुशी आप को मिलेगी वो कभी सोच भी नहीं सकते। साथ ही साथ बच्चे के साथ जो bound बनेगा सो अलग से। वो बच्चा अपने पिता का हाथ कभी नहीं छोड़ेगा। इसलिए बच्चो के साथ केवल नाम जुड़वाने के लिए पिता मत बनिए। पर बच्चे के प्रति अपनी जिम्मेदारियाँ निभाकर एक सच्चे पिता बनिए।
3.Mentally prepare for baby
बच्चे की प्लानिंग करते समय mentally prepare रहना बहुत ही जरुरी है। जब तक आप mentally prepare न हो तब तक आप चाहे किते भी वर्ष के हो या financially कितने भी strong क्यों न हो बेबी प्लान नहीं करनी चाहिए।
आप उसको बुला रहे हो जो पता ही नहीं की कौन है और कैसा है? आप उसको अपने साथ पूरा जीवन जीने वाले हो। उसकी हर एक जिमेदारी उठाने वाले हो। जब तक आप तैयार नहीं होंगे उसकी देख भल कैसे करोगे? बच्चे की परवरिश में mentally strong होना बहुत ही जरुरी है।
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