Successful parenting.
दोस्तों, हम सब को लगता है की आज के ज़माने में हमारा जीवन बहुत ही सरल और आसान हो गया है। अगर देखा जाये तो ये बात सच भी है। पहले के ज़माने में १०-१२ किलोमीटर जाने के लिए भी पूरा दिन निकल जाता था। उसकी तैयारी महीनो पहले किया करते थे। तब जा के कही हम १० से १२ किलोमीटर का सफर तय कर पाते थे।
आज कल हम लाखो किलोमीटर का सफर चुटकियो में तय कर लेते है, वो भी बड़े ही आराम से। सिर्फ मुसाफरी में ही नहीं पर हमारी लाइफ हर तरह पहले के लोगो से ज्यादा आरामदायी हो गई है। वो चाहे खाना बनाना हो, चाहे खेतीबाड़ी हो हर तरह के उपकरण मौजूद है जिस से हम हर काम आराम से और बहुत ही कम समय में कर सकते है।
ये बात जितनीसच है उतनी ही एक और बात भी सच है की, आज चाहे जितनी ही आरामदायी जीवन हम क्यों न जिए, पर पहले के लोगो के मुकाबले हम लोग ज्यादा दुखी है। पहले लोग पूरा दिन खेत में या कही भी काम कर के थक कर घर पे आते थे और खाना खा कर आराम से सो जाते थे। तब नहीं आरामदायी कमरे थे, न ही आरामदायी गद्दे, A.C. तो छोड़ो पंखे तक नहीं होते थे। फिर भी वो जितनी सुकून की नींद सोते थे उतनी आज हम महल जैसे घरो में नहीं सो पाते ?
इतनी facilities होने पर भी आज कल हर इंसान एक तनाव में हमेशा रहता है। उसका उदहारण है आज कल हर किसी को 35 - 40 साल में कुछ न कुछ भयंकर बीमारिया जैसे की शुगर, बी.पी., हाइपर टेंशन जैसी बीमारिया होती है। आज कल ये बीमारिया बहुत ही आम है। पर यदि हम याद करे तो हमने ये बीमारिया लास्ट ८ से १० साल के अंदर ही सुनी है। हमने अपने बचपन में ये बीमारियों के नाम तक नहीं सुने थे। तब हमारे से बड़ो को ऐसी कोई बीमारिया नहीं होती थी।
बीमारिया को छोड़े पर आज के समय में सब से बड़ी चिंता का विषय है suicide के case. आज कल न केवल बड़े बल्कि 15 -16 साल के बच्चे भी आत्महत्या कर लेते है। वो भी बहुत ही मामूली से और छोटी-छोटी बातो में।
दोस्तों, हम सब को ये जरूर सोचना चाहिए की ऐसा क्यों हो रहा है ? क्यों इतनी आरामदायी जीवन में भी लोगो को जीने में से मोह इतना ख़तम हो जाता है की लोग मौत को गले लगाना पसंद करते है ?
दोस्तों, हम चाहे माने या न माने पर इसका सब से बड़ा कारण हमारी परवरिश है। जी हां, आज कल एक फैशन सा बन गया है हम सब से अच्छे माता पिता कैसे बने? इसका एक सिंपल सा रास्ता ये है की हम अपने बच्चो को पूरी तरह से हर सुख सुविधा से लाद दे। वो पानी मांगे तो हम दूध हाजिर कर देते है। बाजार में आयी कोई भी नयी वस्तु हम उनके मांगने से पहले ही हाजिर कर देते है।
उनको जरा सी भी तकलीफ हम उठाने ही नहीं देते। अरे हम उनको गर के कामों में अपना हाथ तक बटाने नहीं देते। किसी भी चुनौती को उसके जीवन में आने ही नहीं देते। बच्चे को जीवन में प्रॉब्लम का अहेसास ही नहीं होता। हम उसकी और से सब problem solve कर देते है।
नतीजा ये होता है की बच्चे को पता ही नहीं चलता की जीवन की चुनौती का सामना कैसे करे ? उसको यही लगता है की हर problem solve चुटकियो में हो जाते है, या माता-पिता कर देते है। पूरा जीवन ऐसे ही चलता है। पर जब वो बच्चा सच में जीवन के इस सफर में उतरता है और उसके सामने चुनौतियां आती है, तब उसको पता ही नहीं चलता की वो उसका सामना कैसे करे ?
माता-पिता भी एक टाइम तक बचो की problem solve कर सकते है। जब parents के पास भी उसका कोई solution नहीं होता तब वो बच्चा depression में आ जाता है, क्योकि जीवन की जंग लड़ना उसको सिखाया ही नहीं जाता। पर जीवन एक जंग तो है ही। तब जन्म होता है कई अनगिनत शारीरिक और मानसिक बीमारीयो से ले कर आत्महत्या तक का सफर।
हम में से कोई ये नहीं चाहेगा की हमरे बच्चो के साथ ऐसा कुछ भी हो, है ना ? तो उसके लिए हमें बच्चो को कैसी परवरिश देनी चाहिए ? ये सवाल हम सब के मन में होता है।
परवरिश का तरीका। / principal of parenting
दोस्तों, इसका जवाब यहाँ पर मैं बाज़ पक्षी का उदहारण दे कर देती हूँ।
पक्षी जब बच्चो को जन्म देते है तब कुछ महीनो तक उसकी माँ ही उन बच्चो को अपनी चोंच में से उन बच्चो की चोंच में दाना डाल कर खिलाती है। पर बाज़ की माता कुछ दिन के बाद ही खाना उस बच्चो से कुछ दूरी पर रखती है। वो बच्चे भूखे होते है इसलिए वो उस खाने तक पहोच ने की कोशिश करते है। वो कई बार गिरते पड़ते है। उस खाने तक पहोच ने में उनको काफी चोट भी लगती है, पर फिर भी उसकी माँ को उसकी दया नहीं आती। बच्चो को अपनी भूख मिटाने के लिए उस खाने तक पहोचना ही पड़ता है।
इतना ही नहीं कुछ दिनों के बाद जब दूसरे पक्षियों के बच्चे ठीक से बोल भी नहीं पाते, उस समय मादा बाज़ अपने बच्चो को अपने पंजो में दबा कर १५-२० किलोमीटर ऊपर ले कर जाती है। वो बच्चो को वही पर से छोड़ देती है। बच्चे घबराहट में उड़ने की न काम कोशिश कर ते है। जब वे उड़ नहीं पते तब बच्चो को लगता है की वे मरने वाले है, तभी जमीं से कुछ दूरी पर मादा बाज़ आके अपने बच्चो को पंजे में पकड़कर फिर से ऊपर ले जाती है।
ये तब तक जारी रहता तक वो बच्चा उड़ना ना सिख जाये। यही कारन है की बाज़ सबसे ऊपर उड़ने वाला पक्षी है। वो पक्षियों का राजा कहलाता है। वो ये सब इसलिए नहीं करता क्योकि उसके बच्चो से वो प्यार नहीं करती। पर वो जानती है की यही प्रशिक्षण उसके बच्चे को दूसरे पक्षियों से बहेतर और अलग बनाएगा। राजा ऐसे ही नहीं बनता।
अब हमें ये तय करना है की हम अपने बच्चो को क्या बनाना चाहते है ? यदि हम अपने बच्चे को राजा ( successful ) बनाना चाहते है तो उसकी training हमें बचपन से ही देनी पड़ेगी।
जो बच्चा मांगे वो चीज़ उनको तुरंत न दे। पहले देखे की क्या वाकई में उसको उसकी जरूरत है ? यदि हो तब ही दे वो भी कुछ दिनों के बाद। उसको ये सीखना होगा की हम कुछ दिन बिना चीज़ो के भी बिता सकते है।
उसके प्रॉब्लम उसको खुद ही solve कर ने दे। बच्चो को help तभी करे जब वो जमीन पे गिर ने वाले हो। उससे पहले नहीं। यानि उनके problem के साथ उसको अकेला छोड़ दो। उनके problem में उनके पीछे रहो आगे नहीं।
चुनौतियों का सामना कर कर ही इंसान सफल हो सकता ये बात हमें नहीं भूलनी चाहिए। अपने बच्चे को राजा बनाना है या रंक वो हमारे हाथ में है।
read this also : parenting tips part 2
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