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polish your skills in hindi

  एक  बार एक शिष्य अपने गुरु से एक प्रश्न पूछता है, 'हे गुरुजी हमारे जीवन की कीमत क्या है?' गुरु जी थोड़ा सा मुस्कुराए और उसने एक लाल पत्थर उसको दिया और कहा कि यह बाजार में जाकर उसकी सही कीमत क्या है यह पता करो और याद रखना उसको बेचना नहीं है पर उसको सही कीमत क्या है वही पता करना है। वह शिष्य बाजार गया। सबसे पहले उसने एक फल वाले को देखा और उसको वह लाल पत्थर बताया और ‘पूछा इसकी कीमत क्या है?’ उसने पत्थर को देखा और कहा कि ‘पत्थर की तो मैं क्या कीमत दू? पर यदि तुम लाये हो तो मैं दो तीन फल दे दूंगा।‘ शिष्य ने पत्थर वापस लिया फिर वह सब्जी वाले के पास गया। सब्जी वाले ने पत्थर को देखा और कहा, ‘इसकी कोई कीमत नहीं है। यदि तुम लाए हो तो मैं तुम्हें 1 किलो आलू दे देता हूॉ’ फिर वह सुनार के पास जाता है। और सुनार से पूछता है, 'इसकी कीमत क्या है?' सुनारने पत्थर को देखा और थोड़ी देर बाद उसने कहा कि, 'मैं उसके तुम्हे 15 लाख रुपया देता हूं।' यह सुनकर वह बहुत आश्चर्यचकित रह गया और उसने कहा, 'ठीक है मैं बाद में आऊंगा' कहके वह चला गया। क्योंकि गुरु जी ने कहा था कि उसको बेचना

hard work always pays off ( कड़ी मेहनत हमेशा भुगतान करती है )

कड़ी मेहनत हमेशा भुगतान करती है नारियल के पेड़ बड़े ही ऊँचे होते हैं और देखने में बहुत सुंदर होते हैं।  एक बार एक नदी के किनारे नारियल का पेड़ लगा हुआ था।  उस पर लगे नारियल को अपने पेड़ के सुंदर होने पर बहुत गर्व था। सबसे ऊँचाई पर बैठने का भी उसे बहुत मान था।  इस कारण घमंड में चूर नारियल हमेशा ही नदी के पत्थर को तुच्छ पड़ा हुआ कहकर उसका अपमान करता रहता।  एक बार, एक शिल्प कार उस पत्थर को लेकर बैठ गया और उसे तराशने के लिए उस पर तरह – तरह से प्रहार करने लगा। यह देख नारियल को और अधिक आनंद आ गया उसने कहा – ऐ पत्थर ! तेरी भी क्या जिन्दगी हैं पहले उस नदी में पड़ा रहकर इधर- उधर टकराया करता था और बाहर आने पर मनुष्य के पैरों तले रौंदा जाता था और आज तो हद ही हो गई।  ये शिल्पी तुझे हर तरफ से चोट मार रहा हैं और तू पड़ा देख रहा हैं।  अरे ! अपमान की भी सीमा होती हैं | कैसी तुच्छ जिन्दगी जी रहा हैं।  मुझे देख कितने शान से इस ऊँचे वृक्ष पर बैठता हूँ।  पत्थर ने उसकी बातों पर ध्यान ही नहीं दिया | नारियल रोज इसी तरह पत्थर को अपमानित करता रहता।  कुछ दिनों बाद, उस शिल्पकार ने पत्थर को तराश कर भगवान की मूर्ति बनाये

honesty is the best policy

  ((दो कीमती हीरे))) एक सौदागर को बाज़ार में घूमते हुए एक उम्दा नस्ल का ऊंट दिखाई पड़ा।सौदागर और  ऊंट बेचने वाले के बीच काफी लंबी सौदेबाजी हुई और आखिर में सौदागर ऊंट खरीद कर घर ले आया।घर पहुंचने पर  सौदागर ने अपने नौकर को ऊंट का कजावा ( काठी) निकालने के लिए बुलाया। कजावे के नीचे नौकर को एक छोटी सी मखमल की थैली मिली जिसे खोलने पर उसे कीमती हीरे जवाहरात भरे होने का पता चला।नौकर चिल्लाया,"मालिक आपने ऊंट खरीदा,लेकिन देखो, इसके साथ क्या मुफ्त में आया है?" सौदागर भी हैरान था,उसने अपने नौकर के हाथों में हीरे देखे जो कि चमचमा रहे थे और सूरज की रोशनी में और भी टिम टिमा रहे थे। सौदागर बोला:"मैंने ऊंट ख़रीदा है,न कि हीरे,मुझे उसे फौरन वापस करना चाहिए।"नौकर मन में सोच रहा था कि मेरा मालिक कितना बेवकूफ है। वह बोला:"मालिक किसी को पता नहीं चलेगा।"पर सौदागर ने एक न सुनी और वह फौरन बाज़ार पहुंचा और दुकानदार को मख़मली थैली वापिस दे दी। ऊंट बेचने वाला बहुत ख़ुश था वह बोला,"मैं भूल ही गया था कि अपने कीमती पत्थर मैंने कजावे के नीचे छुपा के रख दिए थे।अब आप इनाम के तौर पर कोई भ

habits for givers

एक दिन आदमी जंगल से गुजर रहा था। तब उसने देखा की एक लोमड़ी बड़ी ही बुरी हालत वहा पे पड़ा था।वो चल फिर भी नहीं सकता था। उसको बड़ी ही दया आई, वह सोच ही रहा था की इस हालत में ये बिचारा खाना कैसे खाएगा , की तभी वह पे एक शेर शिकार कर के आया और जब शेर खाके लोमड़ी के लिए शिकार छोड़ के चला गया। बाकि बचा हुआ बचा हुआ लोमड़ी खाया। वो आदमी समज गया।  वह दूसरे दिन आया. दूसरे  शेर लोमड़ी के लिए शिकार छोड़ के चला गया। इस प्रसंग से उस आदमी ने ये प्रेरणा ली की जब हज़ार हाथ वाला बैठा है तो हमें चिंता करने की क्या आवश्यकता है? वह घर पे गया और बिना कुछ काम काज किये वह एक कोने में बेथ गया। इस आशा से की भगवान खाना भेजेंगे। किन्तु ऐसा हुआ नहीं और कुछ दिन में वो हाड़पिंजर बन गया। तब गुस्से में उसने भगवन से शिकायत की कि, " तूने उस लोमड़ी  खाना भेजा जब की वो लोमड़ी न तुम्हे जानती है और न ही तुम्हारे पूजा करती है। और मैं तुम पे इतना विश्वास  करता हु  भरोसे मैंने अपना सारा काम काज छोड़ दिया फिरभी  भूखा मार रहे हो?" तभी एक आवज आई की, "यही पे तेरी भूल है। तुमने  लोमड़ी को देखा शेर को नहीं देखा।मैने उस लोमड़ी

benefits of kindness

मैं जब  छोटा था तब मैं बहुत स्वार्थी था, मै हमेशा अपने विषय में ही सोचता था। हमेशा अपने लिए सर्वश्रेष्ठ चुनता था।      धीरे-धीरे, सभी दोस्तों ने मुझे छोड़ दिया और अब मेरे कोई दोस्त नहीं थे। मैंने नहीं सोचा था कि यह मेरी गलती थी, और मैं दूसरों की आलोचना करता रहता था। लेकिन मेरे पिता ने मुझे जीवन में मदद करने के लिए 3 दिन में 3 संदेश दिए।      एक दिन, मेरे पिता ने हलवे के 2 कटोरे बनाये और उन्हें मेज़ पर रख दिया।      एक के ऊपर 2 बादाम थे, जबकि दूसरे कटोरे में हलवे के ऊपर कुछ नहीं था।      फिर उन्होंने मुझे हलवे का कोई एक कटोरा चुनने के लिए कहा, क्योंकि उन दिनों तक हम गरीबों के घर बादाम आना मुश्किल था.... मैंने 2 बादाम वाले कटोरे को चुना!       मैं अपने बुद्धिमान विकल्प / निर्णय पर खुद को बधाई दे रहा था, और जल्दी जल्दी मुझे मिले 2 बादाम हलवा खा रहा था।       परंतु मेरे आश्चर्य का ठिकाना नही था, जब मैंने देखा कि की मेरे पिता वाले कटोरे के नीचे 8 बादाम छिपे थे!      बहुत पछतावे के साथ, मैंने अपने निर्णय में जल्दबाजी करने के लिए खुद को डांटा।       मेरे पिता मुस्कुराए और मुझे यह याद रखना सिख